(दिल्ली) : यूट्यूबर, कमेडियन- मैजिशियन और मेंटलिस्ट सुहानी शाह इन दिनों बागेश्वरधाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री के मन की बात यानी दिमाग को पढ़ लेने के पीछे के चमत्कार का राज खोलती नजर आ रही हैं। सुहानी शाह कई टीवी चैनलों पर ये सिद्ध करती नजर आ रहीं है कि जो बाबा बागेश्वर लोगों की मन की बात जान लेते हैं वो दरअसल चमत्कार नहीं दिमाग का खेल है। जिसे माइंड राइडिंग कहा जाता है।
बता दें, सुहानी शाह भी एक ट्रिक से सामने वाले का ‘दिमाग’ पढ़ लेती हैं। पांच किताबें लिख चुकी सुहानी ने कई टीवी चैनलों को दिए इंटरव्यू में कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री के दावे के बारे में लोगों को जो बताया है, उससे यह समझा जा सकता है कि सामने वाले के मन में क्या चल रहा वो बात बाबा कैसे जानते हैं।
माइंड रीडिंग चमत्कार नहीं
बता दें, सुहानी शाह खुद एक मेंटलिस्ट हैं। वह भी लोगों का दिमाग़ पढ़ लेती हैं। सुहानी के बारे में ऐसा दावा किया जाता है,लेकिन वह दिमाग़ नहीं पढ़ती हैं, बल्कि लोग के हाव-भाव यानी बॉडी लेंवेज से कुछ चीज़ें पता लगा लेती हैं। मालूम हो मेंटलिस्ट का मतलब आपकी ही क्रिया-प्रतिक्रिया से आपके बारे में कुछ बाते जान लेना। सुहानी शाह ने कहा है कि माइंड रीडिंग के साइंटिफिक तरीके होते हैं, जिसका इस्तेमाल करने के बाद ऐसा लगता है कि चमत्कार किया जा रहा।
मालूम हो, सुहानी ने अपने इंटरव्यू में बताया है कि मन को पढ़ना जादू नहीं है। असल में सामने वाले ते जब कुछ सवाल किया जाता है और जब वह अपने मन में कुछ सोचने लगता है तो कुछ भाव, रंग और क्रिया होती है और मेंटलिस्ट इसे ही पकड़ लेते हैं। पलक झपकाने से लेकर उंगली हिलाने, चेहरे पर कोई शिकन जैसी बारिकियों के मेंटलिस्ट पढ़ लेते हैं।
इस ट्रिक से बाबा जानें ‘मन की बात’
मालूम हो, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चमत्कार को सुहानी शाह ने माइंड रीड करना बताया है। इस दरम्यान सुहानी शाह ने शो में इस तरह के कई उदाहरण दिये, जिसे देख कर कोई भी उन्हें चमत्कार ही कहेगा। सुहानी शाह ने कहा है कि माइंड रीडिंग के साइंटिफिक तरीके होते हैं, जिसका इस्तेमाल करने के बाद ऐसा लगता है कि चमत्कार किया जा रहा।
इस दौरान सुहानी शाह ने कहा कि उनके इस माइंड रीडिंग को कई बार लोगों ने चमत्कारी शक्ति बताया, जिसके बाद उन्होंने लोगों को ऐसा करने से मना किया। माइंड रीडर सुहानी शाह ने बताया कि ये एक साइंटिफिक तरीका है। उन्होंने बताया कि ऐसा करने से पहले ये समझना पड़ता है कि व्यक्ति उस वर्तमान समय में किस परिस्थिति में है, साथ ही वो उस समय क्या सोच सकता है। सुहानी ने यह भी बताया है कि व्यक्ति के बैकग्राउंड में देख कर भी बहुत कुछ समझा जा सकता है। सुहानी शाह के अनुसार लोग इसे ही चमत्कार मान लेते हैं और फिर अंधविश्वास के चक्कर में पड़ जाते हैं।