धर्म

क्यों रात के 12 बजे ही किया जाता हैं किन्नरों का अंतिम संस्कार?

India News (इंडिया न्यूज़), Funeral Of Transgenders: किसी भी समाज की सांस्कृतिक धारा में किन्नरों का स्थान अनूठा होता है। हिंदू धर्म में किन्नरों को विशेष रूप से सम्मान दिया जाता है, क्योंकि उनकी दुआओं में असीम शक्ति मानी जाती है। जब भी कोई शुभ कार्य होता है, जैसे कि बच्चे का जन्म, तो किन्नरों को बुलाकर उन्हें आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। माना जाता है कि किन्नरों का आशीर्वाद समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है।

आम लोगों की परंपराएँ

वहीं, दूसरी ओर, आम लोगों की मौत के समय दिन में शव यात्रा निकाली जाती है। मृतक का सम्मान किया जाता है और उसे विदा करते समय हजारों लोग अंतिम संस्कार में भाग लेते हैं। दाह संस्कार का यह संस्कार उनके जीवन के प्रति आदर और श्रद्धा को दर्शाता है।

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किन्नरों की मृत्यु का रहस्य

लेकिन, किन्नरों के जीवन और मृत्यु से जुड़ी परंपराएँ बिल्कुल अलग हैं। जब किसी किन्नर की मृत्यु होती है, तो उसका अंतिम संस्कार दिन में नहीं, बल्कि रात के अंधेरे में किया जाता है। यह एक प्राचीन और रहस्यमयी परंपरा है, जिसके पीछे कई मान्यताएँ और विश्वास जुड़े हैं।

ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई आम इंसान किन्नर के शव को देख लेता है, तो वह अगले जन्म में किन्नर के रूप में जन्म लेता है। इस डर के कारण, किन्नरों का अंतिम संस्कार गुप्त रूप से रात के समय किया जाता है। इस रस्म के दौरान, किन्नर के शरीर को जूतों से मारा जाता है ताकि उसे यह जन्म फिर से न मिले। यह प्रथा किन्नरों की दुनिया की जटिलताओं और रहस्यों को दर्शाती है, जो आम लोगों की समझ से परे होती है।

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सांस्कृतिक धरोहर की एक झलक

इन अनोखी परंपराओं और मान्यताओं के बावजूद, किन्नरों की दुनिया हमेशा से समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। उनकी दुआएं, उनका आशीर्वाद, और उनके जीवन की चुनौतियाँ एक ऐसी सांस्कृतिक धरोहर की झलक देती हैं, जो सदियों से हमारे समाज में विद्यमान है।

साथ ही, यह कहानी हमें समाज की विविधता और विभिन्नताओं को समझने का अवसर देती है। किन्नरों के जीवन और मृत्यु से जुड़े ये अनूठे पहलू समाज के विभिन्न वर्गों के बीच की दूरी और अलगाव को भी उजागर करते हैं, जिन्हें समझने और स्वीकार करने की आवश्यकता है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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