Know the Story of Ahoi Mata : अहोई अष्टमी का हिन्दू धर्म मे काफी महत्व है। अहोई अष्टमी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाने वाला त्योहार है। इसलिए इस दिन को कार्तिक कृष्ण अष्टमी के नाम से भी जानते है। यह त्योहार ज्यादातर उत्तर भारत में मनाया जाता है और करवा चौथ के लगभग 4 दिन बाद और दीवली से 8 दिन पहले आता है।

Ahoi Ashtami 2021 : जाने कैसे मनाएं अहोई अष्टमी का त्योहार

इस साल यह त्योहार 28 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योकि इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाए अपने पुत्रो की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है और शाम के समय तारो को चावल एवं जल अर्पण कर अपना व्रत खोलती हैं। रात को तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। कई जगह महिलाएं इस दिन भी चांद देखकर व्रत खोलती हैं।

कौन है अहोई माता Know the Story of Ahoi Mata

वास्तव में अहोई का तात्पर्य है कि अनहोनी को भी बदल डालना। उत्तर भारत के विभिन्न अंचलों में अहोई माता का स्वरूप वहां की स्थानीय परंपरा के अनुसार बनता है। सम्पन्न घर की महिलाएं चांदी की होई बनवाती हैं। जमीन पर गोबर से लीपकर कलश की स्थापना होती है। अहोई के चित्रांकन में ज्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है।

उसी के पास साही तथा उसके बच्चों की आकृतियां बना दी जाती हैं। करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद अष्टमी तिथि को देवी अहोई माता का व्रत किया जाता है। यह व्रत पुत्र की लम्बी आयु और सुखमय जीवन की कामना से पुत्रवती महिलाएं करती हैं। कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में यह व्रत रखा जाता है इसलिए इसे अहोई अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

अहोई अष्टमी तिथि Know the Story of Ahoi Mata

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। माता पार्वती की अहोई के रूप में पूजा होती है। इस दिन महिलाएं पूरा दिन निर्जला रहकर तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।

अष्टमी तिथि आरंभ:  गुरुवार, 28 अक्टूबर 2021
समय:  दोपहर 12:49 से शुरू
तिथि समाप्त:   शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2021
समय :   दोपहर 2:09 पर समापन

अहोई अष्टमी महत्व Know the Story of Ahoi Mata

अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के व्रत तीन दिन बाद ही रखा जाता है। जैसे करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है उसी प्रकार अष्टमी का व्रत संतान की दीघार्यु और खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत कर विधि विधान से अहोई माता की पूजा करने से मां पार्वती अपने पुत्रों की तरह ही आपके बच्चों की रक्षा करती हैं। साथ ही पुत्र प्राप्ति के लिए भी यह व्रत खास महत्व रखता है।

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