India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Shri Krishna’s Complection: भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु के आठवें अवतार, केवल धार्मिक ग्रंथों के ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति के भी अटूट हिस्सा हैं। उनके जीवन की कहानियाँ और उनकी लीलाएँ केवल भक्तों को ही नहीं, बल्कि इतिहासकारों और दार्शनिकों को भी प्रभावित करती हैं। श्रीकृष्ण की मोहकता, उनकी विभिन्न लीलाएँ, और उनकी दिव्य विशेषताएँ ऐसी हैं जिनसे जुड़े कई पहलू आम जनता के ज्ञान में नहीं आते।
श्रीकृष्ण का वर्णन आम तौर पर सांवला या काला किया जाता है, लेकिन असल में उनका रंग ‘मेघश्यामल’ था। इसका अर्थ है कि उनकी त्वचा का रंग कुछ काला और कुछ नीला था, जो आकाश के बादलों की तरह था। यह विशेषता उन्हें अन्य देवताओं से अलग बनाती है और उनकी दिव्यता को दर्शाती है।
स्वर्गारोहण के समय श्रीकृष्ण की त्वचा पर न तो झुर्रियाँ थीं और न ही उनके बाल सफेद हो चुके थे, जो उनकी अमरता और अनंत युवा रूप को प्रकट करता है।
भगवान श्रीकृष्ण की परदादी, मारिषा, और सौतेली माँ, रोहिणी, नाग जनजाति से थीं। यह उनकी सांस्कृतिक विविधता और समाज में उनके गहरे संबंधों को दर्शाता है।
कृष्ण की प्रिय राधा की आठ सखियाँ थीं: ललिता, विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चंपकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या, और सुदेवी। ये सखियाँ राधा और कृष्ण के प्रेममय रास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
कृष्ण की आठ पत्नियाँ थीं: रुक्मणि, जाम्बवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिंदा, सत्या, भद्रा, और लक्ष्मणा। इन पत्नियों के साथ श्रीकृष्ण ने विभिन्न लीलाएँ और कार्य किए, जो उनके जीवन के विविध पहलुओं को दर्शाते हैं।
उनके तीन बहनें थीं: एकानंगा (यशोदा की बेटी), सुभद्रा, और द्रौपदी (मानस बहन)। इन बहनों ने कृष्ण के जीवन में विशेष स्थान रखा। कृष्ण के भाइयों में नेमिनाथ, बलराम, और गाद शामिल थे, जो उनके जीवन और युद्ध में उनके सहायक थे।
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कृष्ण के गुरु सांदीपनि थे, जिनका आश्रम उज्जैन में स्थित था। इसके अलावा, उनके गुरु गर्ग ऋषि, घोर अंगिरस, नेमिनाथ, और वेद व्यास भी थे। इन गुरुजनों ने कृष्ण को जीवन के विभिन्न पहलुओं में शिक्षित किया और उन्हें 16 विद्याएँ और 64 कलाओं का ज्ञान दिया।
कृष्ण धनुर्धर भी थे, और उनके पास कई दिव्य अस्त्र और शस्त्र थे। उनके खड्ग का नाम नंदक था, गदा का नाम कौमौदकी था, और शंख का नाम पांचजन्य था, जो गुलाबी रंग का था। उनके धनुष का नाम शारंग था और प्रमुख अस्त्र चक्र का नाम सुदर्शन था।
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इन सभी विवरणों के माध्यम से, भगवान श्रीकृष्ण की दिव्यता, उनके अद्वितीय गुण, और उनके जीवन की अनकही कहानियाँ सामने आती हैं। वे केवल एक ऐतिहासिक या धार्मिक पात्र नहीं हैं, बल्कि एक आदर्श और प्रेरणास्त्रोत भी हैं, जो आज भी भक्तों और अनुयायियों को मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करते हैं।
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