Laddu Holi 2023: होली का त्योहार ब्रज में शुरू हो गया है। आज सोमवार, 27 फरवरी को मथुरा के बरसाना में लड्डू मार होली खेली जाएगी। ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है। देश-विदेश से लोग ब्रज की होली देखने के लिए आते हैं। बरसाने की होली की रौनक ही कुछ अलग है। होली का पर्व फुलेरा दूज से शुरू हो जाता है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा पंचमी तिथि यानी की रंग पंचमी तक मनाया जाता है। ब्रज में कहींं लठ्ठमार होली, छड़ीमार होली तो कहीं फूलों से होली खेली जाती है। आइए राधा रानी की नगरी बरसाना में लड्डू मार होली की परंपरा और खासियत के बारे में जानते हैं।
ब्रज की लड्डू मार होली
बरसाना के श्री जी मंदिर में आज सोमवार से लड्डूओं की होली से त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। श्रीजी मंदिर में लोग एक-दूसरे पर रंग गुलाल लगाने के बजाय लड्डू मारकर होली खेलते हैं। बताया जाता है कि होली खेलने के लिए बरसाना आने का आमंत्रण नंदगांव में स्वीकार करने की परंपरा इस होली के साथ जुड़ी हुई है। जिसका आज भी पालन किया जाता है। मान्यतानुसार, इस तरह होली खेलने से रिश्तों में प्रेम और मिठास आती है। लड्डू मार होली के अगले दिन बरसाना में लठ्ठमार होली खेली जाती है। 28 फरवरी को यहां लठ्ठमार होली खेली जाएगी।
लड्डू मार होली की परंपरा
पौराणिक कथा के मुताबिक, द्वापर युग में राधा रानी के पिता वृषभानु जी ने श्रीकृष्ण के पिता को नंदगांव में होली खेलने का न्योता देते थे। आज भी होली का आमंत्रण पत्र लेकर बरसाने की गोपियां नंदगांव जाया करती हैं। जिसे कान्हा के पिता नंदबाबा खुशी से स्वीकार करते हैं। जिसके बाद एक पुरोहित के माध्यम से न्योता स्वीकृति पत्र बरसाना पहुंचाया जाता है। इस दौरान बरसाने में पुरोहित का खूब आदत सत्कार किया जाता है।
जानें क्यों खेली जाती है लड्डू मार होली?
बता दें कि लड्डु खिलाकर पुरोहित का मुंह मिठाया करवाया जाता है। कुछ गोपियां इस दौरान उन्हें गुलाल लगा देती हैं। मगर पुरोहित जी के गुलाल नहीं होता है। इसलिए वह गुलाल की जगह गोपियों पर लड्डू बरसाने लगते हैं। तभी से द्वापर युग की यह घटना वर्तमान समय में लड्डू मार होली के रूप में प्रसिद्ध है। आज भी इस परंपरा के साथ होली मनाई जाती है।