India News (इंडिया न्यूज),Ramayana Katha: जब हनुमानजी लंका पहुंचे तो उनकी माता सीता से मुलाकात हुई और उन्होंने रावण की सेना से युद्ध किया। उस दौरान हनुमानजी ने अपनी पूंछ से लंका को आग के हवाले कर दिया, यह हिंदू धर्म के सबसे रोमांचक और प्रभावशाली प्रसंगों में से एक है। हनुमानजी ने रावण के अहंकार को तोड़ा और भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति को साबित किया। इस प्रसंग में हनुमानजी की वीरता, बुद्धिमत्ता और भगवान राम के प्रति निष्ठा साफ दिखाई देती है।
जब हनुमानजी लंका पहुंचे
जब हनुमानजी लंका पहुंचे तो सबसे पहले उन्होंने श्री राम के नाम की ध्वनि सुनी। यह सुनकर वे बेहद हैरान हुए। उन्होंने विभीषण से मुलाकात की और उन्हें राम भक्त पाया। इसके बाद उन्होंने अशोक वाटिका में माता सीता के दर्शन किए। माता सीता की दासी त्रिजटा से बात करते हुए हनुमानजी ने सुना कि त्रिजटा ने एक स्वप्न देखा है जिसमें सोने की लंका जल रही है। यह सुनकर हनुमानजी को लगा कि यह संयोग नहीं बल्कि भगवान राम का संकेत है।
माता सीता से हनुमान की मुलाकात
हनुमानजी को यह भी पता चला कि देवी पार्वती का श्राप भी लंका दहन से जुड़ा हुआ था। अब हनुमानजी को यह स्पष्ट हो गया था कि भगवान राम उन्हें क्या संदेश देना चाहते थे। लेकिन लंका जलाने के लिए तेल या आग का कोई साधन नहीं था। इसी बीच हनुमानजी की मुलाकात माता सीता से हुई। माता सीता से मिलने के बाद हनुमानजी अशोक वाटिका में घूमने लगे। लंका के सैनिकों ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की लेकिन वे असफल रहे। इसके बाद मेघनाद ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। हनुमानजी ने ब्रह्मास्त्र का सम्मान किया और खुद को पेड़ से टकरा दिया।
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हनुमानजी की पूंछ में आग लगना
हनुमानजी को लंका के राज दरबार में ले जाकर मृत्युदंड देने का निर्णय लिया गया। विभीषण ने हस्तक्षेप किया और रावण को समझाया कि दूत के साथ ऐसा व्यवहार करना उचित नहीं है। रावण ने हनुमानजी की पूंछ में आग लगाने का आदेश दिया। हनुमानजी पूरे वेग से उड़े और पूरी लंका में आग लगा दी। इस प्रकार हनुमानजी ने भगवान राम के आदेश का पालन करते हुए लंका को जला दिया और रावण के अहंकार को चूर कर दिया।
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