धर्म

जिनकी लंका में लगा आए थे आग उसी लंका के एक देवता ने दिया था हनुमान जी को ये गदा, क्या था इसके पीछे छिपा राज?

India News (इंडिया न्यूज), Hanuman Ji Ka Gada: हनुमान जी से जुड़ी यह कथा उनके अद्भुत पराक्रम और दिव्यता की गाथा है, जो उनके बचपन से शुरू होती है। इस कथा का उल्लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं में मिलता है।

हनुमान जी का सूर्य को फल समझकर खाना

कहानी की शुरुआत होती है जब बालक हनुमान ने सूर्य को चमकता हुआ फल समझ लिया और उसे खाने के लिए आकाश में उड़ चले। सूर्यदेव की ओर बढ़ते हुए हनुमान जी ने अपनी अपार शक्ति का प्रदर्शन किया। लेकिन यह देखकर देवताओं में चिंता फैल गई। इंद्र देव ने अपने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया, जिससे वे बेहोश हो गए और धरती पर गिर पड़े।

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पवन देव का क्रोध

जब पवन देव ने देखा कि उनके पुत्र हनुमान बेहोश हो गए हैं, तो उन्होंने क्रोध में धरती पर वायु का प्रवाह रोक दिया। इससे संसार में सभी जीव-जन्तु संकट में आ गए। देवताओं ने पवन देव को शांत करने के लिए हनुमान जी को कई वरदान और उपहार दिए। इनमें से एक उपहार था कुबेर की गदा

कुबेर द्वारा हनुमान जी को गदा प्रदान करना

धन के देवता कुबेर ने हनुमान जी को एक दिव्य गदा भेंट की और वरदान दिया कि जब भी हनुमान जी इस गदा को लेकर युद्ध करेंगे, तो कभी हार नहीं मानेंगे। इस गदा ने बाद में हनुमान जी के पराक्रम में और वृद्धि की। रावण से युद्ध के समय भी हनुमान जी ने अपनी इसी गदा से रावण के रथ को चूर-चूर कर दिया था।

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कुबेर और लंका का इतिहास

कुबेर लंका के असली शासक थे, जिन्हें यह राज्य उनके पिता ऋषि विश्रवा ने दिया था। लेकिन रावण, जो कुबेर का सौतेला भाई था, ने उनसे लंका छीन ली। इसके बाद कुबेर ने कैलाश पर्वत के निकट अलकापुरी में अपना नया राज्य बसाया, लेकिन रावण ने वह भी उनसे छीन लिया। कुबेर के इस संघर्ष की गाथा हनुमान जी की दिव्यता से जुड़ती है, क्योंकि उनकी दी हुई गदा हनुमान जी की अपराजेय शक्ति का प्रतीक बन गई।

धार्मिक मान्यताएँ

इस कथा के अनुसार, हनुमान जी की गदा एक दिव्य हथियार है, जो न केवल उनकी शक्ति का प्रतीक है बल्कि उन्हें अपराजेय भी बनाती है। यह कथा समाज और धर्म की गहराइयों से जुड़ी हुई है, और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस गदा का प्रयोग हनुमान जी ने हमेशा धर्म और न्याय की रक्षा के लिए किया।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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