धर्म

शरीर पर भस्म लगाकर क्या संदेश देते हैं​ ​भगवान शिव? वियोग से जूंझ रहे हर मन्युष्य के लिए जीवन का हैं यह अंतिम सत्य!

India News(इंडिया न्यूज), Lord Shiv & Sati: भगवान शिव के शरीर पर भस्म लगाने के पीछे कई आध्यात्मिक और दार्शनिक संदेश हैं। भस्म, जो आमतौर पर राख या चिताओं से प्राप्त होती है, शरीर की नश्वरता और जीवन के अस्थायी स्वभाव को दर्शाती है। यह संदेश हमें याद दिलाता है कि हमारा भौतिक शरीर अंततः नष्ट हो जाएगा, और यह हमें सांसारिक आकर्षणों और भौतिक वस्तुओं से परे जाने का निमंत्रण देता है।

अस्थिरता और नश्वरता का संदेश: भस्म शरीर की अस्थिरता और मृत्यु के बाद की स्थिति का प्रतीक होती है। यह जीवन की क्षणिकता को स्वीकार करने और आत्मिक विकास की ओर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देती है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण: भस्म के माध्यम से भगवान शिव यह संदेश देते हैं कि आत्मा अमर होती है, और शरीर केवल एक अस्थायी वाहन है। इसलिए, भौतिक शरीर और सांसारिक सुख-साधनों से बंधे रहने के बजाय, हमें आत्मा के शाश्वत सत्य की खोज करनी चाहिए।

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विराग और तपस्या: भस्म को शरीर पर लगाना तपस्वियों और साधकों के विराग और तपस्या का भी प्रतीक है। यह संकेत करता है कि साधक ने भौतिक सुखों की चिंता छोड़ दी है और आत्मिक साधना पर ध्यान केंद्रित किया है।

सर्वभाविकता और समानता: भस्म शरीर के समानता की ओर इशारा करती है, यह दर्शाते हुए कि सभी जीवन रूपों का अंत एक जैसा होता है। इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि सभी जीवों के प्रति समानता और सहानुभूति रखनी चाहिए।

वियोग और दर्द का सामना कर रहे व्यक्तियों के लिए, भगवान शिव का यह संदेश है कि जीवन के संघर्ष और दुख अस्थायी हैं। अंतिम सत्य यह है कि आत्मा अमर है और भौतिक बाधाएँ केवल अस्थायी हैं। इसे समझकर, व्यक्ति को अपने दुःख को समझने और उसे पार करने में मदद मिलती है।

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​भस्म को शरीर पर लगाकर क्या संदेश देते हैं​ महादेव?

त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, और महेश (शिव) सृष्टि के प्रमुख देवता हैं। जहाँ ब्रह्मा सृष्टि के निर्माण के देवता हैं, वहीं विष्णु उसके पालनकर्ता हैं। भगवान शिव, जिन्हें महेश के नाम से भी जाना जाता है, सृष्टि के विनाश के देवता हैं। हालांकि, विनाश का अर्थ केवल अंत नहीं है; यह वास्तव में एक नए आरंभ की ओर संकेत करता है।

भगवान शिव के शरीर पर भस्म लगाना एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक संदेश देता है। भस्म, जो चिताओं से प्राप्त होती है, शरीर की नश्वरता और हर चीज की अस्थायी प्रकृति का प्रतीक होती है। शिव इस संदेश के माध्यम से हमें यह सिखाते हैं कि संसार में जो भी है, उसका अंत होना निश्चित है। यह अंत किसी भी चीज का अंतिम रूप नहीं है; बल्कि, यह एक नए जीवन या नए अध्याय की शुरुआत का संकेत है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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