India News (इंडिया न्यूज), Lord Vishnu & Maa Laxmi: मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पुत्र वधु का नाम तूलसी (तुलसी) है। तुलसी का उल्लेख मुख्य रूप से “तुलसी विवाह” के संदर्भ में आता है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। तुलसी विवाह का आयोजन कार्तिक मास की एकादशी (देवउठनी एकादशी) को किया जाता है, और इसे तुलसी के पौधे (तुलसी माता) और भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम की प्रतीकात्मक शादी के रूप में मनाया जाता है।
तुलसी का महत्व:
- पवित्रता और शुद्धता: तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसे देवी तुलसी का अवतार माना जाता है।
- भगवान विष्णु की प्रिय: तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है और हर पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग होता है।
- धार्मिक महत्व: तुलसी विवाह का आयोजन वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और शांति के लिए किया जाता है।
तुलसी की कथा:
तुलसी विवाह की कथा के अनुसार, तुलसी पहले एक देवी थी जिनका नाम वृंदा था। वह असुरराज जलंधर की पत्नी थीं। अपनी पति की रक्षा के लिए उन्होंने घोर तपस्या की। भगवान विष्णु ने छल से जलंधर का वध किया और वृंदा के श्राप से वह शालिग्राम में बदल गए। बाद में, वृंदा ने तुलसी के पौधे के रूप में पुनर्जन्म लिया और भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम से उनका विवाह हुआ।
तुलसी का कम उल्लेख:
तुलसी का कम उल्लेख होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
मुख्य देवी-देवताओं का केंद्रित ध्यान:
हिंदू धर्म में मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु, भगवान शिव, देवी पार्वती, और अन्य प्रमुख देवताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
तुलसी का पौधा रूप:
तुलसी को पौधे के रूप में अधिक पूजा जाता है और इसे घरों में रखा जाता है, जिससे उसका धार्मिक महत्व तो है, लेकिन उसके चरित्र का विवरण कम मिलता है।
पारंपरिक कहानियों की प्राथमिकता:
तुलसी की कहानी अधिकतर लोक कथाओं और पौराणिक कथाओं में मिलती है, जबकि प्रमुख धर्मग्रंथों में तुलसी का वर्णन तुलनात्मक रूप से कम मिलता है।
इस प्रकार, तुलसी का कम उल्लेख होना कई सांस्कृतिक और धार्मिक कारणों का परिणाम है, लेकिन उनकी पूजा और धार्मिक महत्व अत्यधिक है।
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