धर्म

आखिरी समय में ससुर जी को नहीं देख पाई थीं माँ सीता, दुख में किया कुछ ऐसा जो पहले कभी किसी महिला ने नहीं किया?

India News (इंडिया न्यूज़), Maa Sita had performed the first Pind Daan in Treta Yuga: हर साल पितृपक्ष, एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवधि, 17 अगस्त 2024 से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलती है। इस दौरान मान्यता है कि हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार के सदस्यों से मिलते हैं। पितृपक्ष के दिनों में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, जिससे उन्हें अन्न पहुंचता है और वे प्रसन्न होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिंडदान की परंपरा की शुरुआत किसने की थी?

पिंडदान की पहली घटना

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, पिंडदान की परंपरा का प्रारंभ त्रेतायुग में माता सीता ने किया था। यह घटना उस समय की है जब भगवान श्रीराम, उनके छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी माता सीता वनवास के दौरान गए थे।

आपका भाग्य बदलकर रखने तक की क्षमता रखता हैं आपका पर्स…बस खरीदते समय कर ले ये काम और देखें कमाल?

घटना का विवरण

वनवास के दौरान, जब पितृपक्ष चल रहा था, भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान करने का निर्णय लिया। गया, जो श्राद्ध की विशेष मान्यता के लिए प्रसिद्ध है, वहां पिंडदान की सामग्री एकत्र करने के लिए श्रीराम और लक्ष्मण बाजार गए। लेकिन उनके लौटने में देर हो गई और समय तेजी से निकल रहा था।

माता सीता, जिन्होंने अपने पति और ससुर के प्रति अपार श्रद्धा और समर्पण दर्शाया, ने समय की कमी को देखते हुए खुद ही पिंडदान करने का निर्णय लिया।

आखिर कैसे एक साधारण सा चूहा बन गया था गणपति बप्पा का वाहन? बड़ी रोचक है कहानी!

माता सीता का पिंडदान

माता सीता ने फल्गु नदी के पास स्थित वटवृक्ष के नीचे, केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानते हुए बालू का पिंड तैयार किया। उन्होंने इस पिंड को अपने ससुर दशरथ का पिंडदान करने के लिए समर्पित किया।

इस प्रकार, माता सीता ने पिंडदान की परंपरा की शुरुआत की, जो भारतीय धार्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई। इस घटना ने यह साबित किया कि पिंडदान और श्राद्ध की महत्वपूर्ण परंपरा केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है, बल्कि महिलाओं ने भी इसे निभाने का अधिकार प्राप्त किया है।

खाटू श्याम से लौटते समय जो ले आये ये 5 चीजें तो खुल जाएंगे बंद किस्मत के दरवाजें? जानें नाम!

निष्कर्ष

पितृपक्ष और पिंडदान के महत्व को समझते हुए, माता सीता के द्वारा किया गया पहला पिंडदान इस धार्मिक परंपरा की गहराई और व्यापकता को दर्शाता है। यह घटना न केवल पिंडदान की परंपरा की शुरुआत को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि श्रद्धा और समर्पण के साथ किया गया पिंडदान पितरों को संतुष्ट और प्रसन्न कर सकता है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

Recent Posts

MP Weather Update: 25 दिसंबर से बढ़ेगा ठंड का कहर, IMD ने बारिश, कोहरे और शीतलहर को लेकर जारी किया अलर्ट

India News (इंडिया न्यूज), MP Weather Update: दिसंबर का महीना कुछ ही दिनों में खत्म…

23 minutes ago

ये 5 ऐसे मुख्य साइन जो बताते है कि जरुरत से ज्यादा तेजी से काम कर रहा है आपका लिवर, जानें कैसे?

Sign Of Damaged Liver: लिवर को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखना हमारे समग्र स्वास्थ्य के…

29 minutes ago

कांग्रेस के बुरे दिन बरकरार! हरियाणा, महाराष्ट्र के बाद इस राज्य से आई बुरी खबर, सहयोगी ने ही दे दिया बड़ा घाव

हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों से सबसे ज्यादा झटका कांग्रेस को लगा है। दोनों…

30 minutes ago

दान में जो दे दिए इतने मुट्ठी चावल तो दुनिया की कोई ताकत नहीं जो रोक दे आपके अच्छे दिन, जानें सही तरीका और नियम?

Daan Ke Sahi Niyam: सनातन परंपरा में अन्न दान को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया…

38 minutes ago

Sambhal News: संभल के मकानों-दुकानों पर सरकार का बुलडोजर एक्शन! सांसद-विधायक के बाद अब पूर्व जिलाध्यक्ष निशाने पर

India News (इंडिया न्यूज), Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के सरायतरीन इलाके में…

40 minutes ago

सुबह उठते ही इन मंत्रों का जाप पलट के रख देगा आपकी किस्मत, जानें जपने का सही तरीका

Prosperity Mantra: ऐसा माना जाता है कि दिन की शुरुआत जितनी अच्छी होगी, पूरा दिन…

43 minutes ago