India News (इंडिया न्यूज), Draupadi Ka Dahej: महाभारत, भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महाकाव्य है, जो धर्म, नीति, और आदर्शों की शिक्षा देता है। इस ग्रंथ में द्रौपदी का विवाह एक महत्वपूर्ण घटना है, जो न केवल सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। द्रौपदी पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री थीं, और उनका विवाह पांडवों से हुआ था। इस विवाह के दौरान द्रौपदी के पिता ने अपनी पुत्री को विदा करते समय पांडवों को अनेक बहुमूल्य वस्तुएं दहेज के रूप में दीं। आइए जानते हैं कि राजा द्रुपद ने द्रौपदी के विवाह के समय पांडवों को क्या उपहार दिए थे।
द्रौपदी के विवाह में दिए गए उपहार
महाभारत के अनुसार, द्रौपदी के पिता राजा द्रुपद ने अपनी पुत्री के विवाह के समय निम्नलिखित उपहार पांडवों को दिए:
- सोने से लदे एक हजार हाथी
राजा द्रुपद ने पांडवों को एक हजार हाथी दिए, जो सोने के आभूषणों से सुसज्जित थे। यह न केवल उनकी समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत करता है कि वह अपनी पुत्री को सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे। - पचास हजार घोड़े
राजा द्रुपद ने पचास हजार घोड़े भी उपहार में दिए। ये घोड़े न केवल युद्ध में उपयोगी थे, बल्कि सोने के आभूषणों से सजे होने के कारण राजा द्रुपद की राजसी ठाट-बाट का प्रतीक भी थे। - दासियां
द्रौपदी के विदाई समारोह में राजा द्रुपद ने 10 हजार दासियां पांडवों को दीं। ये दासियां आभूषणों से सजी हुई थीं और उनके माध्यम से राजा द्रुपद ने अपनी पुत्री की सेवा-सुविधा का ध्यान रखा। - गायें
राजा द्रुपद ने पांडवों को एक-एक करोड़ गाएं दान में दीं। यह न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक था, बल्कि भारतीय परंपरा में गाय को विशेष रूप से शुभ और पवित्र माना जाता है। - पालकियां और कहार
पांडवों को राजा द्रुपद ने 100 पालकियां उपहार में दीं और उन्हें ले जाने के लिए 500 कहार भी दिए। यह उपहार उनके वैभव और सुविधा का प्रतीक था।
राजा द्रुपद की उदारता का महत्व
राजा द्रुपद द्वारा दिए गए इन उपहारों से उनकी उदारता और संपन्नता स्पष्ट होती है। इन उपहारों के माध्यम से उन्होंने न केवल द्रौपदी की सुख-सुविधा का ध्यान रखा, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि पांडवों को किसी प्रकार की कमी न हो। यह घटना महाभारत में पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों को दर्शाती है।
सांस्कृतिक दृष्टिकोण
महाभारत में वर्णित इस घटना से यह भी पता चलता है कि उस समय के समाज में दहेज प्रथा किस प्रकार प्रचलित थी। हालांकि, यह दहेज आज की प्रथा से अलग था और इसे सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक माना जाता था। राजा द्रुपद के इन उपहारों से उनकी पुत्री के प्रति उनका स्नेह और पांडवों के प्रति उनका सम्मान झलकता है।
द्रौपदी के विवाह में राजा द्रुपद द्वारा दिए गए उपहार महाभारत के सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक पहलुओं को उजागर करते हैं। यह घटना केवल एक विवाह नहीं थी, बल्कि दो राजवंशों के बीच एक महत्वपूर्ण गठबंधन थी। महाभारत में इस प्रसंग का उल्लेख भारतीय परंपराओं और मूल्यों को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।