India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat Katha: महाभरत का युद्ध सबसे विध्वंसक युद्धों में से एक में गिना जाता हैं। हमने इस काल की कितनी कहानियां अपने नानी-दादी से सुनी हैं। ये युद्ध इतना विशाल था कि ये पूरे 18 दिनो तक चला था। इस बता में कोई पशुपक्ष नहीं कि इस युद्ध में एक से बढ़कर एक महान योद्धा थे लेकिन आज हम जिनकी बात करने जा रहे हैं उनका नाम हैं भीष्म पितामह।

महाभारत में वह किन्नर शिखंडी था जिसने भीष्म पितामह की मृत्यु का षड्यंत्र रचा था। शिखंडी पूर्व जन्म में काशी नरेश की पुत्री अम्बा थी। अम्बा को भीष्म ने अपने भाई विचित्रवीर्य के लिए हरण किया था, लेकिन जब उन्होंने अम्बा के विवाह की बात सुनी तो उन्हें छोड़ दिया। इस अपमान और अन्याय का बदला लेने के लिए अम्बा ने पुनर्जन्म लिया और शिखंडी के रूप में जन्म लिया।

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ऐसे हुई भीष्म पितामह की मृत्यु

शिखंडी ने अपनी तपस्या और तप के बल पर भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया था कि वह भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगा। महाभारत के युद्ध के दौरान, अर्जुन ने शिखंडी को अपने रथ के आगे खड़ा किया। भीष्म ने एक प्रतिज्ञा ली थी कि वह किसी स्त्री या स्त्री समान व्यक्ति पर अस्त्र नहीं उठाएंगे, इस कारण जब शिखंडी भीष्म के सामने आया तो भीष्म ने शस्त्र नहीं उठाया। इस मौके का फायदा उठाकर अर्जुन ने भीष्म पर तीरों की वर्षा कर दी, जिससे अंततः भीष्म पितामह की मृत्यु हो गई।

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