India News (इंडिया न्यूज),Mahabharat Story: महाभारत में कुंती एक ऐसी मां हैं जो सख्त भी हैं और प्रभावी भी। वह अपनी बुद्धिमत्ता और धैर्य के लिए जानी जाती हैं। वह पांडवों से स्नेह रखती थीं और समय आने पर उन्हें डांटने में भी संकोच नहीं करती थीं। वह अपने बेटों के साथ सख्त थीं। वह उन्हें डांटने में संकोच नहीं करती थीं। कुंती अपने बेटों के साथ तभी सख्त होती थीं जब बात उनके कर्तव्य, नैतिकता या कुल की मर्यादा की आती थी।
द्रौपदी का अपमान करने पर वह युधिष्ठिर से बहुत नाराज थीं। कुंती चाहती थीं कि उनके बेटे हमेशा धर्म के मार्ग पर चलें, भले ही इसका मतलब डांटना या सख्त होना हो। वह कभी-कभी अपने बेटों को उनकी कमजोरियों के लिए कठोर शब्दों में डांटती थीं। उनकी सख्ती के पीछे प्यार और चिंता दोनों थी, ताकि उनके बेटे मजबूत और सही रास्ते पर रहें।
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कुंती हमेशा चाहती थीं कि उनके बेटे धर्म के मार्ग पर चलें, लेकिन जब युधिष्ठिर महाभारत के युद्ध को लेकर उत्साहित नहीं थे और कौरवों से लड़ने से बचना चाहते थे, तो उन्होंने उन्हें फटकारते हुए कहा, “तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी है, केवल शास्त्रों की बातें करना पर्याप्त नहीं है।”
वनवास के दौरान जब भीम ने बिना सोचे-समझे राक्षस हिडिंब से युद्ध करने का निर्णय लिया, तो कुंती ने उसे डांटते हुए कहा कि अपनी ताकत का सही उपयोग करना सीखो, नहीं तो यह पूरे परिवार के लिए खतरा बन सकती है।
जब द्रौपदी का कौरवों द्वारा अपमान हुआ और युधिष्ठिर शांत बने रहे, तो कुंती बुरी तरह गुस्सा हो गईं। उन्होंने कहा, “धर्म का पालन करना ठीक है, लेकिन परिवार के सम्मान की रक्षा करना भी तुम्हारा कर्तव्य है।”
जब कुंती ने कर्ण को पांडवों का भाई होने की सच्चाई बताई और उनके पक्ष में आने के लिए कहा, तो कर्ण ने इनकार कर दिया। इस पर कुंती ने उसे उसकी जिद के लिए फटकार लगाते हुए कहा, “तुम्हारी निष्ठा तुम्हें और मेरे बेटों को नष्ट कर देगी।”
पति पांडु की मृत्यु के बाद, कुंती ने अकेले ही अपने बेटों को अनुशासन और संघर्ष करना सिखाया। वह अर्जुन को हमेशा याद दिलाती थीं कि उनकी धनुर्विद्या उनके परिवार के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। कुंती की सख्ती उनके मातृत्व का हिस्सा थी, जिसने पांडवों को न केवल मजबूत बनाया, बल्कि उन्हें धर्म, मर्यादा और कर्तव्य के मार्ग पर भी चलाया।
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