India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat: महाभारत के युद्ध में ऐसी कई प्रेम कहानी भी जन्म ले चुकी है। जिसके बारे में आज भी लोग बात करते हैं। इन्हीं में से एक थी अर्जुन और उलूपी की प्रेम कहानी ऐसे में आज इस खबर के माध्यम से हम आपको अर्जुन और उलूपी के वीर पुत्र के बारे में बताएंगे जिसने अपने नाम को इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखवाया।
- कौन है अर्जुन और उलूपी?
- वीर पुत्र की हुई ऐसे वाहवाही
कैसी थी अर्जुन और उलूपी की प्रेम कहानी? Mahabharat
महाभारत की प्रेम कहानी जिसमें अर्जुन और उलूपी के बारे में वर्णन किया गया है। इसमें बता दे कि जब अर्जुन वनवास पर गए थे। तो उसे दौरान उनकी मुलाकात उलूपी से हुई थी। उलूपी अर्जुन को पहली नजर में देखते ही उन पर मोहित हो गई और उन्हें खींचकर नागलोक में ले आए।
कथा के अनुसार बताया जाता है कि अर्जुन ने नागलोक में नागराज के घर पर रात्रि व्यतीत की थी और सूर्य उदय होने के बाद उलूपी ने अर्जुन को गंगा तट पर छोड़ दिया था। कहां यह भी जाता है कि लौटते समय उलूपी ने अर्जुन को वरदान दिया कि वह जल के अंदर भी जीवित रह पाएंगे।
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मिलन से हुआ वीर पुत्र का जन्म
बता दे की अर्जुन और उलूपी के मिलन से उनके वीर पुत्र का जन्म हुआ। जिसका नाम इरावन रखा गया। इरावन ने कैसा व्यक्ति था, जिसने महाभारत के युद्ध में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराया। कथा के अनुसार बताया जाता है कि इरावन ने पांडवों की तरफ से युद्ध में लड़ाई की थी। जब उन्हें पता चला कि उन्हें युद्ध में अपने प्राण गवानी है तो उन्होंने शर्त रखी कि वह विवाह करना चाहते हैं, लेकिन कोई ऐसी स्त्री नहीं थी। Mahabharat
जो एक दिन के लिए विवाह करके विधवा का जीवन जिए। ऐसे में श्री कृष्ण ने महिला का रूप लेकर उनसे विवाह किया और उनकी मृत्यु के बाद रोए। उसके बाद से ही किन्नर समाज में भगवान श्री कृष्ण के उसे स्वरूप की पूजा होती है।
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