India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat Kichaka Story: महाभारत की कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है। इस दौरान पांडवों को हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कभी वे भोजन और आश्रय के लिए भटक रहे थे, तो कभी लोगों की नज़रों से बचने के लिए इधर-उधर छिप रहे थे या अपना भेष बदल रहे थे। 13 साल के वनवास और एक साल के अज्ञातवास के दौरान पांडवों और उनकी पत्नी द्रौपदी को न केवल अपना नाम बदलना पड़ा बल्कि भेष बदलकर रहना पड़ा।
भेष बदलकर की सेवा
अपने वनवास के अंतिम वर्ष में पांडव वेश बदलकर राजा विराट के पास गए। यहां पहुंचकर वे सभी राजा की सेवा करने लगे। राजा विराट की सेवा में बड़े भाई युधिष्ठिर कंक नामक ब्राह्मण का वेश धारण कर राजा के दरबार में जुआ खेला करते थे।
भीमसेन ने बदला नाम
भीमसेन ने अपना नाम बदलकर बल्लव रख लिया था। भीम ने अपना नाम बदलकर बल्लव रख लिया था। वह रसोई का काम संभालता था। अर्जुन दरबार में हिजड़े का वेश धारण करके राजा की बेटी को नृत्य सिखाता था। अर्जुन ने अपना नाम बदलकर वृहन्नला रख लिया था। नकुल घोड़ों की देखभाल करता था और उसने अपना नाम बदलकर ग्रांथिक रख लिया था। सहदेव ने अपना नाम बदलकर तन्तिपाल रख लिया था। वह गायों की देखभाल करता था। जबकि द्रौपदी ने अपना नाम बदलकर सैरंध्री रख लिया और राजा विराट की पत्नी की सेवा करने लगी।
कीचक एक अत्याचारी सेनापति था
राजा विराट के सेनापति का नाम कीचक था और वह राजा का साला भी था। उसके डर से राज्य में लोग उसके गलत कामों को भी अनदेखा कर देते थे। कीचक को वरदान था कि उसकी मृत्यु केवल इन सात योद्धाओं के कारण ही हो सकती है। इनमें बलराम, गुरु द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, कर्ण, दुर्योधन, भीमसेन और लीलाधर कृष्ण शामिल थे।
भीमसेन ने उसका वध कर दिया
इस कारण कीचक अपने वरदान का फायदा उठाता था। एक दिन कीचक ने सैरंध्री यानी द्रौपदी को अपने प्रेम जाल में फंसाने की कोशिश की। सैरंध्री जब राजी नहीं हुई तो उसने बलपूर्वक ऐसा किया। जब भीमसेन को इस बात का पता चला तो उन्होंने कीचक का वध कर दिया।
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