धर्म

सिर्फ कलियुग में ही नहीं बल्कि महाभारत जैसे युद्ध में भी किया गया था इन सबसे जरुरी नियमों का उल्लंघन, इस एक ने तो भगवान को भी कर दिया था दंग?

India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Yuddha Rules: महाभारत का युद्ध, जिसे कुरुक्षेत्र के युद्ध के रूप में जाना जाता है, भारतीय महाकाव्य महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने और धर्म की स्थापना के लिए मार्गदर्शन किया। युद्ध से पहले दुर्योधन और युधिष्ठिर ने युद्ध के नियम और आचार संहिता निर्धारित की थी, जिनका पालन सभी योद्धाओं के लिए आवश्यक था। हालांकि, युद्ध के दौरान कई बार इन नियमों का उल्लंघन भी हुआ, जो इस युद्ध की नैतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष चर्चा का विषय है।

महाभारत युद्ध के नियम

महाभारत के युद्ध में निम्नलिखित प्रमुख नियमों का पालन करने का प्रावधान था:

  1. आचार संहिता का पालन: युद्ध में दोनों पक्षों के लिए आचार संहिता का पालन अनिवार्य था। यह सुनिश्चित करता था कि युद्ध केवल वीरता और समानता के सिद्धांतों पर आधारित हो।
  2. सूर्यास्त के बाद युद्ध वर्जित: युद्ध केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही लड़ा जाता था। सूर्यास्त के बाद लड़ाई रोक दी जाती थी और दोनों पक्ष विश्राम करते थे। इस नियम का उद्देश्य था कि युद्ध केवल दिन के उजाले में हो ताकि छल-कपट से बचा जा सके।
  3. योद्धाओं की समानता: युद्ध में समान श्रेणी के योद्धाओं को एक-दूसरे से लड़ना था। उदाहरण के लिए, रथ पर सवार योद्धा केवल दूसरे रथी से लड़ सकता था, हाथी पर सवार योद्धा हाथी पर सवार योद्धा से और पैदल सैनिक पैदल सैनिक से ही मुकाबला कर सकता था। इसका उद्देश्य एक समान और न्यायसंगत युद्ध सुनिश्चित करना था।
  4. एक समय में एक वीर: एक योद्धा एक समय में केवल एक ही योद्धा से लड़ सकता था। कई योद्धाओं का एक ही योद्धा पर एक साथ हमला करना निषिद्ध था। यह नियम वीरता और युद्ध के धर्म का प्रतीक था।
  5. भयभीत और शरण में आए लोगों पर हमला वर्जित: युद्ध के दौरान अगर कोई योद्धा भय के कारण भाग जाता था या शरण मांगता था, तो उस पर हमला नहीं किया जा सकता था। यह नियम धार्मिकता और करुणा का प्रतीक था।
  6. निहत्थे योद्धा पर हमला निषिद्ध: अगर युद्ध के दौरान कोई योद्धा निहत्था हो जाता था, तो उस पर अस्त्र-शस्त्र से वार करना निषिद्ध था। उसे अपना शस्त्र उठाने का अवसर दिया जाता था। यह नियम शौर्य और नैतिकता के उच्च मानकों को दर्शाता है।
  7. सेवकों और घायलों पर हमला वर्जित: युद्ध के दौरान सेवक जो घायलों की सेवा कर रहे थे या घायल योद्धाओं की देखभाल कर रहे थे, उन पर हमला करना वर्जित था। यह नियम मानवीयता और संवेदनशीलता को दर्शाता था।
  8. सूर्यास्त के बाद छल-कपट वर्जित: युद्ध की समाप्ति के बाद यानी सूर्यास्त के बाद दोनों पक्षों के बीच कोई छल-कपट नहीं किया जा सकता था। यह नियम रात के समय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करता था।

अर्जुन नहीं उनका ही ये गुमनाम शिष्य था महाभारत का सबसे खतरनाक योद्धा, कर्ण भी उसके सामने कुछ नहीं!

महाभारत युद्ध में नियमों का उल्लंघन

महाभारत के युद्ध के दौरान कई बार इन नियमों का उल्लंघन हुआ। यह उल्लंघन विशेष रूप से तब हुआ जब व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं, द्वेष, और युद्ध की परिस्थिति ने योद्धाओं को नियमों से विचलित कर दिया। निम्नलिखित प्रमुख घटनाएं हैं जहां युद्ध के नियमों का उल्लंघन हुआ:

  1. अभिमन्यु की मृत्यु: अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु जब चक्रव्यूह में फंस गया था, तब उसके खिलाफ कई योद्धाओं ने मिलकर हमला किया। यह नियमों के खिलाफ था क्योंकि एक वीर पर एक साथ कई योद्धा हमला नहीं कर सकते थे। अभिमन्यु निहत्था हो चुका था, फिर भी उस पर हमला जारी रखा गया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
  2. कर्ण का वध: एक और प्रमुख घटना तब घटित हुई जब कर्ण का रथ युद्ध के दौरान फंस गया। कर्ण ने अपने रथ का पहिया निकालने के लिए युद्ध विराम मांगा, लेकिन उसी समय अर्जुन ने कर्ण पर हमला कर दिया। यह भी नियमों का उल्लंघन था, क्योंकि निहत्थे कर्ण पर अस्त्र चलाना धर्म के विरुद्ध था।

पांडवों ने बनाई थी एक ऐसी झील, जहां आज भी मौजूद है दुनिया का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर, जानें इसका चौंकाने वाला इतिहास

महाभारत का नैतिक दृष्टिकोण

महाभारत का युद्ध केवल एक युद्ध नहीं था, बल्कि धर्म और अधर्म के बीच का संघर्ष था। इस युद्ध के नियम और उनका पालन, योद्धाओं के शौर्य और नैतिकता को दर्शाते हैं। हालांकि, युद्ध के दौरान कई बार व्यक्तिगत द्वेष और युद्ध की स्थिति ने इन नियमों को तोड़ा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि धर्म की स्थापना के लिए कभी-कभी नियमों से ऊपर उठना पड़ता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को यही उपदेश दिया था कि “धर्म की रक्षा के लिए अधर्म का अंत करना आवश्यक है।”

महाभारत के युद्ध के ये नियम हमें यह सिखाते हैं कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, धर्म और नैतिकता का पालन करना सर्वोपरि है। लेकिन, जब अधर्म और अन्याय का अंत करना हो, तो कभी-कभी नियमों का उल्लंघन भी धर्म की ही दिशा में हो सकता है।

पहले महाभारत के विनाश का कारण बनी इस स्त्री से रचाया विवाह फिर मां गंगा से की शादी…कौन है ये महाभीष्म जो पुनर्जन्म लेकर बने गंगा के पति?

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

Recent Posts

रंजन कुमार समेत सात आईएएस बनेंगे प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई डीपीसी में खुली अफसरों की किस्मत

India News (इंडिया न्यूज),UP IAS Promotion: मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार…

4 minutes ago

54 मिनट में न्यूयॉर्क से लंदन, एलन मस्क ने दुनिया को एक बार फिर किया हैरान, इस बार समुद्र में नया कारनामा!

Elon Musk News: एलन मस्क की द बोरिंग कंपनी अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर को लंदन…

10 minutes ago

राजस्थान में ट्राले ने PCR वैन में मारी टक्कर, मौके पर पुलिसकर्मी की मौत

India News (इंडिया न्यूज)Rajasthan News: राजस्थान के जयपुर के बस्सी थाना इलाके के राजधोक टोल प्लाजा…

11 minutes ago

ससुर ने दामाद की झोली में ड़ाला मोटा दहेज, दूल्हे ने किया ऐसा काम, सब रह गए दंग

Groom Rejects Dowry: शादी करने के बाद दो लोग एक दूसरे के साथ आपस में…

12 minutes ago

मुस्लिमों को BJP नेता की चेतावनी, बोले- ‘कान खोलकर सुनो, तुरंत खाली करो दुकानें’

India News (इंडिया न्यूज), Moradabad News:  मुरादाबाद में भाजपा महानगर मंत्री सुनीता शर्मा का एक वीडियो…

15 minutes ago

ED Raid: ईडी की रडार पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई बड़े कारोबारी…जानें कहां-कहां मारा ईडी ने छापा

India News (इंडिया न्यूज), ED Raid: ईडी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की कई जगहों…

17 minutes ago