India News(इंडिया न्यूज), Markandeya Temple: महाशिवरात्रि के अवसर पर वाराणसी से करीब 30 किलोमीटर दूर गंगा-गोमती के संगम तट पर स्थित मार्कंडेय महादेव मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। यह मंदिर वाराणसी गाजीपुर हाईवे पर कैथी गांव के पास है। ऐसे में आज की खबर से जानते है कि इस मंदिर की इतनी मान्यता क्यों है और क्या है मंदिर का रहस्य।
- क्या है मंदिर का रहस्य?
- राम नाम से जुड़ा है इतिहास
मार्कंडेय मंदिर
महाशिवरात्रि के अवसर पर पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से लाखों श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करने आते हैं। शिवरात्रि के अवसर पर यहां काशी विश्वनाथ मंदिर से भी ज्यादा भीड़ होती है। सावन के महीने में यहां एक महीने तक मेला भी लगता है। मार्कंडेय महादेव मंदिर उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों में से एक है।
विभिन्न प्रकार की समस्याओं से ग्रसित लोग अपने दुखों से मुक्ति पाने के लिए यहां आते हैं। मार्कंडेय महादेव मंदिर के बारे में मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन और अगले दिन श्री राम का नाम लिखे बेलपत्र चढ़ाने से पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है। मंदिर के बारे में कई अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं। Markandeya Temple
अगस्त में ये 5 राशियां चढ़ेगी सफलता की सीढ़ी, कुबेर का खुलेगा खजाना
रहस्य से जुड़ा है मंदिर का नाम
मार्कण्डेय महादेव मंदिर के विषय में एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में जब मार्कण्डेय ऋषि का जन्म हुआ तो उन्हें आयु दोष था। ज्योतिषियों ने उनके पिता ऋषि मृकण्ड को बताया कि बालक की आयु मात्र 14 वर्ष है। यह सुनकर माता-पिता आश्चर्यचकित हो गए। विद्वान ब्राह्मणों की सलाह पर बालक मार्कण्डेय के माता-पिता ने गंगा गोमती संगम के तट पर रेत से शिव प्रतिमा बनाई और शिव की आराधना प्रारंभ कर दी। वे भगवान शंकर की घोर आराधना में लीन हो गए। जैसे ही बालक मार्कण्डेय 14 वर्ष के हुए तो यमराज उन्हें लेने आ गए।
बालक को लेने आएं यमराज
बालक मार्कण्डेय भी उस समय भगवान शिव की आराधना में लीन थे। जैसे ही यमराज उनके प्राण लेने के लिए आगे बढ़े तो भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव के प्रकट होते ही यमराज को अपने पैर पीछे खींचने पड़े। तभी से उस स्थान पर मार्कण्डेय और महादेव की पूजा प्रारंभ हो गई और तब से यह स्थान मार्कण्डेय महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। तभी से भगवान शंकर के मंदिर की दीवार में मार्कण्डेय महादेव की पूजा-अर्चना शुरू हो गई।
भगवान श्री कृष्ण ने कब-कब किया था अपने धनुष शारंग का प्रयोग
राम नाम से जुड़ा ये काम Markandeya Temple
लोगों का मानना है कि महाशिवरात्रि और सावन माह में राम नाम लिखे बेलपत्र और एक लोटा जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मार्कण्डेय महादेव मंदिर में त्रयोदशी (तेरस) का भी बड़ा महत्व है। लोग यहां पुत्र प्राप्ति और पति की दीर्घायु की कामना लेकर आते हैं। भक्त यहां महामृत्युंजय, शिवपुराण, रुद्राभिषेक और भगवान सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं।
महाशिवरात्रि पर दो दिनों तक लगातार जलाभिषेक करने की परंपरा है। दूसरे दिन ग्रामीण यहां घरेलू सामान की खरीदारी भी करते हैं। यहां लगने वाले मेले में भेड़ों की लड़ाई आकर्षक होती है। महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर गाजीपुर, मऊ, बलिया, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़ समेत कई जिलों से देर शाम तक श्रद्धालुओं का आना जारी रहा। दो दिनों तक लगातार जलाभिषेक होता रहेगा। Markandeya Temple
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।