India News (इंडिया न्यूज़), Khatu Shyam, दिल्लीहर मंदिर का कोई न कोई रहस्य और कहानी है। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के सीकर के खाटू गांव में बना हुआ है। जिसे हम सभी खाटू श्याम मंदिर के नाम से जानते हैं। यह भारत में कृष्ण भगवान के मंदिरों में से सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। खाटू श्याम को कलयुग का देवता कहा जाता हैं साथ ही इस मंदिर की कई अलग-अलग मान्यताएं है। लोगों का मानना है कि भक्त श्याम बाबा से जो मांगते हैं, वो उन्हें जरूर देते हैं। जिस वजह से ही उन्हें लखदातार के नाम से भी जाना जाता है। वहीं हिंदू धर्म के मुताबिक खाटू श्याम को कलियुग में कृष्ण का अवतार कहा जाता है।

खाटू श्याम की कहानी महाभारत काल से जुङी हुई है। जहाँ भगवान श्री कृष्ण से बर्बरीक को खाटू श्याम की उपाधि और कलयुग में पूजे जाने का वरदान मिला। वैसे तो खाटू श्याम के मंदिर बारत में कई जगह पर हैं लेकिन राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में बने मंदिर की अलग ही मान्यताएं हैं। ऐसे में हम आपको बताएगें कि आखिर इस मंदिर के पीछे की कहानी क्या है। मान्यताओं के मुताबिक कहा जाता है कि कलयुग के शुरुआत में राजस्थान के सीकर के खाटू गांव में बर्बरीक का शीश मिला था। कहा जाता है कि ये अद्भुत घटना जब घटी तब वहां खड़ी एक गाय के थन से अपने आप ही दूध बहने लगा। यह सब देखकर जब वहां की जगह को खोदा गया तो यहां खाटू श्याम का सिर मिला। इसे देखते ही लोग चौंक गए और सोचा कि इस सिर का क्या किया जाए। जिसके बाद लोगों ने काफी सोच-विचार करके वह शीश एक पुजारी को सौंपने का फैसला लिया गया।

इसके बाद वहां के राजा रूप सिंह को मंदिर बनवाने का सपना आया और उन्होंने इस जगह पर मंदिर निर्माण शुरू करवाया साथ ही खाटूश्याम की मूर्ति स्थापित करने के आदेश दिए। इसके बाद 1027 ई. में राजा रूप सिंह द्वारा बनाए गए इस मंदिर को एक भक्त ने मंदिर को अलग रूप दिया। फिर दीवान अभय सिंह ने 1720 ई. में इसका पुनिर्माण करवाया। इस तरह मूर्ति को मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित किया गया। मंदिर के निर्माण में पत्थरों और संगमरमर का उपयोग किया गया और मुख्य द्वारा को सोने की पत्ती से सजाया गया।

जिसके बाद से ही वहाँ तब से लेकर आज तक हर दिन लाखों भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर बाबा श्याम के पास आते हैं और उनका मानना है कि उनकी हर मनोकामना पूरी भी होती है।

 

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