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पुराने से पुराना रोग जीवन में फैली कंगाली से लेकर परेशानियों तक को निगल जाएगा भगवान शिव का ये चमत्कारी मंत्र, बस सही उच्चारण का रखें खास ध्यान

Shiv Mantra: पुराने से पुराना रोग जीवन में फैली कंगाली से लेकर परेशानियों तक को निगल जाएगा भगवान शिव का ये चमत्कारी मंत्र

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Shiv Mantra: सनातन धर्म में भगवान शिव को सबसे प्रमुख और पूजनीय देवता माना गया है। वे सौम्य, सरल और करुणामय हृदय वाले देवता हैं। उनकी भक्ति और आराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भोलेनाथ को प्रसन्न करना अत्यंत सरल है। ऐसा कहा जाता है कि केवल एक लोटा जल चढ़ाने से ही भगवान शिव अपने भक्तों की पुकार सुन लेते हैं।

भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए उनके मंत्रों का जाप अत्यंत फलदायी होता है। शास्त्रों में भगवान शिव के अनेक मंत्रों का उल्लेख मिलता है, जिनमें ‘श्री शिव रुद्राष्टकम’ को विशेष स्थान प्राप्त है। यह पाठ न केवल शक्तिशाली है, बल्कि इसके जाप से भक्तों को तुरंत लाभ भी मिलता है।

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Shiv Mantra: पुराने से पुराना रोग जीवन में फैली कंगाली से लेकर परेशानियों तक को निगल जाएगा भगवान शिव का ये चमत्कारी मंत्र

श्री शिव रुद्राष्टकम पाठ का महत्व

श्री शिव रुद्राष्टकम भगवान शिव के स्वरूप और उनकी शक्तियों की महिमा का वर्णन करता है।

  • यह पाठ भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और समर्पण को प्रकट करने का सबसे प्रभावी माध्यम है।
  • शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्री राम ने भी रावण जैसे शक्तिशाली शत्रु पर विजय पाने के लिए शिव रुद्राष्टकम का पाठ किया था। इस स्तुति के प्रभाव से उन्होंने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की।
  • शिव रुद्राष्टकम का नियमित पाठ करने से बड़े से बड़े संकटों का नाश होता है और व्यक्ति को विजयश्री प्राप्त होती है।

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शिव रुद्राष्टकम की जप विधि

शास्त्रों में बताया गया है कि शिव रुद्राष्टकम का पाठ करते समय विशेष ध्यान और विधि का पालन करना चाहिए।

  1. स्थान का चयन: शिव रुद्राष्टकम का पाठ शिव मंदिर में या घर में भगवान शिव की मूर्ति के सामने करना चाहिए।
  2. समय: पाठ को प्रातःकाल और संध्याकाल में करना शुभ माना गया है।
  3. सात दिवसीय अनुष्ठान: शिव रुद्राष्टकम का फल तभी पूर्ण रूप से प्राप्त होता है जब इसका लगातार सात दिनों तक पाठ किया जाए।
  4. शुद्धता: पाठ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान शिव के सामने दीप जलाएं और बेलपत्र अर्पित करें।
  5. आसन: पाठ करते समय कुश या ऊनी आसन पर बैठकर जाप करना चाहिए।

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शिव रुद्राष्टकम का पाठ

स्लोक: श्री शिव रुद्राष्टकम्‍

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्॥

निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोहम्॥

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्रीशरीरम्।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा॥

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं।
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्॥

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥

न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो॥

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शिव रुद्राष्टकम पाठ के लाभ

  1. संकटों से मुक्ति: इस पाठ को करने से सभी प्रकार के संकट और बाधाएं समाप्त होती हैं।
  2. मन की शांति: शिव रुद्राष्टकम का पाठ करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  3. सौभाग्य और समृद्धि: इस पाठ के प्रभाव से व्यक्ति का भाग्योदय होता है और जीवन में समृद्धि आती है।
  4. भय का नाश: शिव रुद्राष्टकम के जाप से व्यक्ति निडर और साहसी बनता है।
  5. मोक्ष की प्राप्ति: भगवान शिव की आराधना और रुद्राष्टकम के पाठ से अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिव रुद्राष्टकम का पाठ एक सरल और प्रभावशाली उपाय है। यह पाठ न केवल शत्रुओं पर विजय दिलाता है, बल्कि जीवन को आनंदमय और सौभाग्यशाली बनाता है। नियमित रूप से इस पाठ का पालन कर शिव जी की असीम कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।

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