India News (इंडिया न्यूज), Shiv Mantra: सनातन धर्म में भगवान शिव को सबसे प्रमुख और पूजनीय देवता माना गया है। वे सौम्य, सरल और करुणामय हृदय वाले देवता हैं। उनकी भक्ति और आराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भोलेनाथ को प्रसन्न करना अत्यंत सरल है। ऐसा कहा जाता है कि केवल एक लोटा जल चढ़ाने से ही भगवान शिव अपने भक्तों की पुकार सुन लेते हैं।
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए उनके मंत्रों का जाप अत्यंत फलदायी होता है। शास्त्रों में भगवान शिव के अनेक मंत्रों का उल्लेख मिलता है, जिनमें ‘श्री शिव रुद्राष्टकम’ को विशेष स्थान प्राप्त है। यह पाठ न केवल शक्तिशाली है, बल्कि इसके जाप से भक्तों को तुरंत लाभ भी मिलता है।
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श्री शिव रुद्राष्टकम भगवान शिव के स्वरूप और उनकी शक्तियों की महिमा का वर्णन करता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि शिव रुद्राष्टकम का पाठ करते समय विशेष ध्यान और विधि का पालन करना चाहिए।
स्लोक: श्री शिव रुद्राष्टकम्
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्॥
निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोहम्॥
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्रीशरीरम्।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा॥
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं।
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्॥
कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥
न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो॥
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिव रुद्राष्टकम का पाठ एक सरल और प्रभावशाली उपाय है। यह पाठ न केवल शत्रुओं पर विजय दिलाता है, बल्कि जीवन को आनंदमय और सौभाग्यशाली बनाता है। नियमित रूप से इस पाठ का पालन कर शिव जी की असीम कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।