इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष ये पर्व आज मनाया जायेगा। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। कई जगहों पर ये व्रत सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी कन्याओं द्वारा भी किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत और पूजन में कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। जिनके बारे में आज हम आपको यहां बता रहे हैं।

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हरतालिका तीज के व्रत व पूजन में इन चीजों की होती है जरूरत

हरतालिका तीज के व्रत व पूजन में आपको जिन चीजों की जरूरत होगी उनमें सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, काजल, वस्त्र, फूल, अबीर, वस्त्र, फल, कुमकुम, चंदन, घी-तेल, दीपक, कपूर, नारियल, माता की चुनरी, लकड़ी का पाटा, पीला कपड़ा, सुहाग पिटारा, तुलसी, केला का पत्ता, गीली काली मिट्टी या बालू, धतूरे का फल एवं फूल, बेलपत्र, आंक का फूल, मंजरी, पांच फल, मिठाई, शमी पत्र और जनेऊ शामिल हैं।

सुहाग का सामान भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित किया जाता है

हरतालिका तीज व्रत दान करने के लिए भी सुहाग का सामान भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित किया जाता है। इनमें बिछिया, पायल, कुमकुम, मेहंदी, सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, माहौर, कंघी और कुमकुम जैसी चीजें शामिल की जा सकती हैं। पूजा सम्पन्न होने के बाद इस सामान को सुहागिन महिलाओं को दान किया जाता है।

इन बातों का भी रखें ध्यान

हरितालिका तीज पर पूजन तृतीया तिथि में गोधली और प्रदोष काल में ही करें और चतुर्थी में व्रत का पारण करें।
व्रत में 24 घंटे तक अन्न, जल, फल कुछ नहीं खाना होता है इसलिए व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करें।
व्रत में सोएं नहीं बल्कि रात भर जागकर भगवान शिव एवं माता पारवती का स्मरण करें।
रात को भजन-कीर्तन, शिव चालीसा, शिव महापुराण का पाठ किया जा सकता है।
व्रती महिलाएं सोलह श्रृंगार करें और सुहाग का सामान सुहागिन महिलाओं को दान करें।
चतुर्थी तिथि में व्रत की पारण विधि के अनुसार ही व्रत का पारण करें।