India News (इंडिया न्यूज),Mahakumbh 2025: संगम नगरी प्रयागराज में अमृत स्नान समाप्त होने के बाद सभी अखाड़ों के नागा साधुओं ने महाकुंभ से विदा लेनी शुरू कर दी है। अब सिर्फ 7 अखाड़ों के नागा साधु बचे हैं, जो 12 फरवरी को यहां से काशी के लिए रवाना होंगे। लेकिन महाकुंभ से विदा लेने से पहले नागा साधु दो काम करते हैं। पहला, जाते समय वो कढ़ी-पकौड़े का भोज करते हैं। और दूसरा, जाते समय अपने शिविर में लगी धर्म ध्वजा की डोरी ढीली कर देते हैं।
माना जाता है कि ये उनकी परंपरा है। नागा साधु परंपरा के मुताबिक, महाकुंभ से जाते समय कढ़ी-पकौड़े का भोज करना होता है। फिर अपने शिविर में लगी धर्म ध्वजा की डोरी भी ढीली करनी होती है। जूना अखाड़े के संत ने बताया कि ये परंपरा सदियों से चली आ रही है।
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आज यानी शुक्रवार को महाकुंभ का 27वां दिन है, अभी 19 दिन और इसका आयोजन होना है। 26 फरवरी को महाकुंभ का आखिरी दिन है। नागा साधुओं के तीनों अमृत स्नान भी पूरे हो चुके हैं। जिसके बाद नागा साधुओं ने वापस लौटना शुरू कर दिया है। गुरुवार को कुछ अखाड़ों के नागा साधु यहां से रवाना हो गए हैं। जबकि, कुछ अखाड़ों के नागा 12 फरवरी से रवाना होंगे। वहीं, कुछ अखाड़ों के साधु बसंत पंचमी के स्नान के बाद रवाना हो गए थे। 7 अखाड़ों के नागा साधु अब सीधे काशी विश्वनाथ जाएंगे।
बताया जा रहा है कि महाशिवरात्रि के चलते 7 अखाड़ों के नागा काशी विश्वनाथ जाएंगे। यहां वे 26 तारीख यानी महाशिवरात्रि तक अपना डेरा जमाएंगे। इसके बाद वे अपने-अपने अखाड़ों में लौट जाएंगे। महाशिवरात्रि के मौके पर नागा बनारस में जुलूस निकालेंगे, मसाने की होली खेलेंगे और गंगा स्नान करेंगे। यानी ये तीनों काम पूरे करने के बाद नागा वापस लौट जाएंगे।
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साधुओं के लिए अमृत स्नान का बहुत महत्व है। मान्यता है कि अमृत स्नान करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। महाकुंभ में अमृत स्नान के बाद साधु-संत ध्यान में लीन हो जाते हैं। आखिरी अमृत स्नान करने के बाद सभी नागा अपने अखाड़ों की ओर बढ़ना शुरू कर देते हैं।
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