अवधूत बाबा शिवानंद
ब्रह्मांड एक नाद पर आधारित है। ब्रह्मांड में जीवन देने और लेने की शक्ति है। वैज्ञानिक भी गॉड पार्टिकल को मान चुके हैं, जबकि भारतीय संस्कृति इससे कहीं आगे है। नकारात्मक भाव या वाणी का असर ब्रह्मांड पर होता है। इसलिए जीवन में नफरत खत्म कर प्यार की जरूरत है। प्राकृतिक आपदा और परेशानियों का कारण नकारात्मकता ही है। शिवयोग से सफेद क्रांति, हरित क्रांति और प्राकृतिक आपदा पर नियंत्रण किया जा सकता है। दुर्गा सप्तशती के बीज मंत्रों से देशभर में चर्चित अवधूत बाबा शिवानंद ने यह बात कही। पढ़िए अवधूत बाबा शिवानंद से बातचीत के कुछ अंश-
– शिव का अर्थ है अनंत और योग अर्थात जुड?े की प्रक्रिया है। शिवयोग भविष्य की जरूरत है। जर्मनी में कई लिपियों का अध्ययन और किसी भी विज्ञान से भारतीय संस्कृति को सीखना चाह रहे हैं। शिव योग हर व्यक्ति में है।
हर ग्रह का एक नाद है जिसे वैज्ञानिक अनुभव कर चुके हैं। यजुर्वेद में ऐसे मंत्रों का उल्लेख है लेकिन तपस्या से ही जागृत हो सकते हैं। मैं सप्त ऋषियों की शक्ति बांट रहा हूं। नकारात्मक भाव ब्रह्मांड को प्रभावित करते है।
शिव योग से देश में हरित क्रांति, सफेद क्रांति और प्रदूषण से मुक्ति के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं को शांत कर सकते हैं। रोज सिर्फ 20 मिनट योग से देश का विकास कर सकते हैं।
भगवान महामृत्युंजय की संजीवनी शक्ति की शिक्षा और दीक्षा एवं दुर्गासप्तशती बीज मंत्रात्मक साधना की शिक्षा व दीक्षा से फसल तथा गाय के दूध में वृद्धि, बिना रासायनिक खादों के खेत को उपजाऊ बनाने की शक्ति दे रहे हैं।
रसायन से भूमि बंजर हो रही है और जीवाणु मर रहे हैं। दुनिया फैक्टरी के प्रदूषण को रोती है लेकिन इस ओर ध्यान नहीं है। बारिश के बाद यह जहर खेतों से नदियों में पहुंच रहा है। बीमारियों का कारण रसायन ही है।
शिवयोग में खाद और रसायन की जरूरत नहीं है। बीज बोने से पहले योग से अभिमंत्रित करें और फसल के लिए भी रोज योग करें। तीन वर्ष में कृषि दो से तीन गुना बढ़ जाएगी। लागत ५० से ७० प्रतिशत कम होगी। जैविक खेती होगी तो लोग स्वस्थ रहेंगे, विकास होगा।
किसानों को लोन या बीज-खाद उपलब्ध करवाना काफी नहीं है। सरकार की सोच अच्छी है लेकिन काफी आगे सोचने की जरूरत है।
शिवयोग के दस मिनट प्रयोग से देशी गाय का भी 20 लीटर दूध पैदा किया जा सकता है। इसके प्रयोग से दूध कम होना भी बंद हो जाता है। दूध बढ़ेगा तो सफेद क्रांति आएगी।
आजकल शिक्षा में बच्चों को रट्टा सिखा रहे हैं। क्रिएटिव होने की जरूरत है। असेंबल लाइन सिस्टम लागू हो गया है। कोई हमें कंट्रोल कर रहा है। पहले ईस्ट इंडिया कंपनी थी, अब वालमार्ट हो गया है। देश फिर गुलामी की ओर जा रहा है। मनुष्यता की कोई बात नहीं कर रहा।
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