इंडिया न्यूज़ : हिन्दू नववर्ष के साथ चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। 22 मार्च से चैत्र शुरू हुआ चैत्र नवरात्र 9 दिनों तक चलेगा। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा -अर्चना की जाएगी। बता दें, मां दुर्गा को शक्ति, साहस और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है।
बता दें, शास्त्रों और पुराणों में मां दुर्गा के कई अवतारों के बारे वर्णन देखने को मिलता है। नवरात्रि पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों, 10 महाविद्याएं और तीन महादेवियों के रूप में पूजा की जाती है। शक्ति और पराक्रम की देवी का नाम दुर्गा कैसे पड़ा और उनके जन्म लेने के पीछे की क्या कहानी है। जानें इस हमारी रिपोर्ट में।
ऐसे हुआ मां दुर्गा का जन्म
हिन्दू पुराणों के मुताबिक, मां दुर्गा के जन्म लेने के पीछे असुरों के राजा रंभ के पुत्र महिषासुर के वध से जुड़ा है। पुराणों के अनुसार असुरराज महिषासुर ने कठोर तपस्या कर ब्रह्राा जी को प्रसन्न कर लिया था और उनके वरदान से वह कभी भी भैंसे का रूप धारण कर लेता था। ब्रह्राा जी ने महिषासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे कई वरदान दिए था, वरदान स्वरूप वह कभी भी किसी देवता या दानव से युद्ध के मैदान में हार नहीं सकता था।
महिषासुर देवताओ के लिए बना सिरदर्द
कहानी के मुताबिक, ब्रहााजी से मिले वरदान से महिषासुर बहुत ही बलशाली और अंहकारी हो गया था। उसने वरदान के बल पर स्वर्ग पर एकदिन हमला बोल दिया और सभी देवताओं का परास्त कर वहां पर अपना कब्जा जमा लिया। महिसासुर ब्रह्मा जी के आशीष से इतना बलशाली हो गया था कि भगवान शिव और भगवान विष्णु भी उसे युद्ध में नहीं हरा पा रहे थे।
महिषासुर का बढ़ा आतंक तो शक्ति स्वरूपा की हुई उत्पति
ब्रह्मा जी और विष्णु जी को हारने के बाद दिनों -दिन महिषासुर की शक्ति बढ़ती जा रही थी और उसका आतंक तीनों लोक में फैलने लगा था। सभी देवी-देवता और मुनि उसके आतंक से परेशान हो गए थे। तब भगवान त्रिपुरारी और और विष्णु ने सभी देवताओं के सलाह लेते हुए एक ऐसी योजना बनाई जिसमें एक शक्ति को प्रकट किया जो महिषासुर का वध कर सके। योजनानुसार सभी देवताओं ने एक साथ मिलकर एक तेज के रूप में शक्ति को प्रकट की।
सभी देवताओं की शक्तियों को एक साथ एक जगह पर एकत्रित करके एक आकृति उत्पन्न हुई। सभी देवताओं की इस शक्ति को शिवजी ने त्रिशुल, विष्णु जी ने चक्र, भगवान ब्रह्राा जी कमल का फूल, वायु देवता से नाक और कान मिली, पर्वतराज से कपड़े और शेर मिला। यमराज के तेज से मां शक्ति के केश बने, सूर्य के तेज से पैरों की अंगुलियां मिली, प्रजापति से दांत और और अग्रिदेव से आंखें मिली. इसके अलावा सभी देवतों ने अपने शस्त्र और आभूषण दिए।
महिषासुर से भयंकर युद्ध के बाद शक्ति का नाम पड़ा दुर्गा
पुराणों के मुताबिक, सभी देवताओं के तेज और शस्त्र पाकर देवी प्रगट हुईं जो तीनों लोकों में अजेय और दुर्गम बनी। महिषासुर से युद्ध बहुत ज्यादा भंयकर और दुर्गम होने के कारण इनका नाम दुर्गा पड़ा। शक्ति रूपी मां दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक युद्ध हुआ फिर नौवें दिन देवी ने महिषासुर का वध किया था।