धर्म

श्रापित है ये ग्रंथ, गलत तरीके से पढ़ लिया तो होगा खौफनाक अंजाम

India News (इंडिया न्यूज), Nilavanti Granth: भारत की प्राचीन धरती पर धर्म, तंत्र और शास्त्रों की एक अनोखी दुनिया बसी हुई है। यहां के धार्मिक ग्रंथ हमें सही और गलत का बोध तो कराते हैं, लेकिन एक ग्रंथ ऐसा भी है, जिसे जानने से भी मृत्यु का भय उत्पन्न हो जाता है। यह ग्रंथ है—नीलावंती ग्रंथ। आइए, एक कहानी के माध्यम से जानें इस रहस्यमय ग्रंथ की कथा।

एक रहस्यमय ग्रंथ की उत्पत्ति

कहानी की शुरुआत होती है एक दूरदराज के गांव से, जहां एक खूबसूरत यक्षिणी का नाम नीलावंती था। नीलावंती अपनी दिव्य सुंदरता और अद्भुत ज्ञान के लिए जानी जाती थी। उसके बारे में कहा जाता था कि वह पशु-पक्षियों से बात कर सकती थी और किसी खजाने के रहस्यों को जानती थी। उसकी प्रतिभा और शक्ति से प्रभावित होकर, उसने एक ग्रंथ लिखा—नीलावंती ग्रंथ।

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एक तांत्रिक का मोह

इस बीच, गांव में एक तांत्रिक अपने तंत्र-मंत्र के कौशल के लिए प्रसिद्ध था। उसकी निगाहें नीलावंती पर पड़ीं और उसने उसे अपना प्रेम प्रस्ताव दिया। लेकिन नीलावंती ने तांत्रिक के प्रेम को ठुकरा दिया। तांत्रिक को यह बात सहन नहीं हुई। उसका क्रोध इतना बढ़ गया कि उसने नीलावंती को श्रापित कर दिया। तांत्रिक का कहना था कि जो भी इस ग्रंथ को बुरी नियत से पढ़ेगा, उसकी मौत हो जाएगी। और यदि कोई ग्रंथ को आधा ही पढ़ेगा, तो वह पागल हो जाएगा।

एक रहस्यमय ग्रंथ का खतरा

नीलावंती ग्रंथ को पढ़ने की चाह ने कई लोगों को आकर्षित किया, लेकिन उसकी खतरनाक किस्मत ने बहुतों को नुकसान पहुंचाया। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस ग्रंथ को पूरी तरह पढ़ने की कोशिश करता, उसकी मृत्यु हो जाती थी। और जो आधा पढ़ने की कोशिश करता, वह पागल हो जाता। ग्रंथ में पशु-पक्षियों से बात करने की कला और खजानों के रहस्यों का उल्लेख था, लेकिन श्रापित होने के कारण कोई भी इसका रहस्य जान नहीं पाया।

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एक रहस्यमय कथा का अंत

जैसे-जैसे समय बीतता गया, नीलावंती ग्रंथ की कहानी पूरे देश में फैल गई और इसके खतरे के बारे में लोगों को पता चल गया। यह ग्रंथ धीरे-धीरे पौराणिक कथाओं में समा गया, और अंततः भारत में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। आज, हिंदी साहित्य में इसका उल्लेख तो मिलता है, लेकिन अब यह ग्रंथ कहीं भी उपलब्ध नहीं है।

नीलावंती ग्रंथ की कहानी हमें यह सिखाती है कि ज्ञान और शक्ति का प्रयोग कभी भी गलत इरादों से नहीं करना चाहिए। इस रहस्यमय ग्रंथ की कहानी, एक चेतावनी के रूप में आज भी लोगों के बीच जीवित है, एक रहस्यमय दुनिया की झलक प्रस्तुत करती है, जो न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि रहस्यमय भी।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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