India News (इंडिया न्यूज), Maha Kumbh: ज्ञान, भक्ति और त्याग की त्रिवेणी के रूप में प्रवाहित पंचायती अखाड़ा निरंजनी सनातन संस्कृति की पताका फहराता आ रहा है। यह पहला अखाड़ा है, जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर भी नागा दीक्षा लेकर दायित्व संभाल रहे हैं। जूना अखाड़े के बाद सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले इस अखाड़े की स्थापना 860 में हुई थी। इस अखाड़े का पूरा नाम श्री पंचायती तपोनिधि निरंजन अखाड़ा है। इसका मुख्यालय मायापुर हरिद्वार में स्थित है। अगर साधुओं की संख्या की बात करें तो निरंजनी अखाड़ा देश के सबसे बड़े और प्रमुख अखाड़ों में शामिल है। जूना अखाड़े के बाद इसे सबसे शक्तिशाली अखाड़ा माना जाता है। यह देश के 13 प्रमुख अखाड़ों में से एक है। इस अखाड़े में सबसे ज्यादा शिक्षित साधु हैं। 

योग्यता के आधार पर दी जाती है दीक्षा

हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, निरंजनी अखाड़े में डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर शामिल हैं। वृंदावन के आश्रम में रहने वाले निरंजनी अखाड़े के आदित्यानंद गिरि एमबीबीएस डिग्री धारक हैं। जबकि इस अखाड़े के सचिव ओमकार गिरि इंजीनियर हैं। उन्होंने एमटेक किया है। इसी तरह महंत रामरत्न गिरि दिल्ली स्थित डीडीए में सहायक इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. राजेश पुरी ने पीएचडी की डिग्री हासिल की है, जबकि महंत रामानंद पुरी एडवोकेट हैं। निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि शैव परंपरा के इस अखाड़े के करीब 70 फीसदी साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। इस अखाड़े में योग्यता के आधार पर संन्यास की दीक्षा दी जाती है। इसमें संस्कृत के विद्वान और आचार्य भी होते हैं। 

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इस अखाड़े की छवि हमेशा रही है अलग

हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, निरंजनी अखाड़े की हमेशा से अलग छवि रही है। सचिव ओमकार गिरि का कहना है कि इस अखाड़े का गठन सनातन धर्म की रक्षा के लिए किया गया था। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अखाड़े की ओर से वेद विद्या स्कूल और कॉलेज भी स्थापित किए गए हैं। गुजरात के मांडवी जिले में पंचायती अखाड़ा निरंजनी का गठन किया गया था। जिस समय निरंजनी अखाड़े की स्थापना हुई थी, उस समय सनातन धर्म पर हमले हो रहे थे। दूसरे धर्म के लोग अपने धर्म का विस्तार कर रहे थे और सनातन धर्म पर आक्रमण कर रहे थे। 

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