धर्म

अर्जुन संग दुर्योधन नहीं बल्कि इस योद्धा ने किया था सबसे बड़ा छल, विश्वासघात का था दूसरा नाम?

India News (इंडिया न्यूज़), Dronacharya Tricked Arjun: महाभारत का युद्ध न केवल वीरता और युद्ध कौशल के लिए जाना जाता है, बल्कि इसमें छल और रणनीति की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दुर्योधन की चालाकियों और कौरवों के द्वारा किए गए छल के अलावा, एक और महत्वपूर्ण घटना ने अर्जुन को गहरे आघात में डाल दिया। यह घटना द्रोणाचार्य से जुड़ी है, जो अर्जुन के गुरु और पांडवों के एक करीबी व्यक्ति थे। आइए इस घटनाक्रम पर विस्तृत दृष्टि डालते हैं।

अभिमन्यु का चक्रव्यूह में फंसना

महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह एक अत्यंत कठिन और जटिल युद्ध रणनीति थी। अभिमन्यु, जो एक कुशल योद्धा था, ने इस व्यूह को भेदने की योजना बनाई थी। उसकी योजना थी कि वह चक्रव्यूह में प्रवेश करेगा और उसकी रक्षा के लिए पीछे से नकुल, भीम और अन्य पांडव योद्धा आएंगे।

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अभिमन्यु की योजना

अभिमन्यु ने अपने साहस और युद्ध कौशल के बल पर चक्रव्यूह में प्रवेश किया। उसकी योजना थी कि पांडवों की सेना उसे बाहर निकालने के लिए चक्रव्यूह के पीछे आएगी। लेकिन द्रोणाचार्य, जो कौरवों की तरफ से युद्ध कर रहे थे, ने अभिमन्यु को घेरने के बाद पांडव योद्धाओं, जैसे नकुल और भीम, को अंदर आने से रोक दिया।

अभिमन्यु की वीरगति

चक्रव्यूह में अभिमन्यु की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई जब द्रोणाचार्य ने उसके मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। उसके बाद जयद्रथ ने अभिमन्यु पर हमला किया। युद्ध के नियमों के अनुसार, निहत्थे योद्धा पर हमला करना अनैतिक होता है। अभिमन्यु उस समय निहत्था था, लेकिन जयद्रथ ने उसकी वीरता की अवहेलना करते हुए उसे मार डाला। अभिमन्यु की मौत युद्ध की एक दुखद घटना थी। वह एक युवा और वीर योद्धा था, जिसे युद्ध के नियमों की रक्षा की गई होती, तो वह जीवित रह सकता था।

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अर्जुन को द्रोणाचार्य से आघात

अर्जुन के लिए यह घटना गहरी चोट का कारण बनी। द्रोणाचार्य, जो अर्जुन के गुरु थे, ने अपने कौशल और युद्ध कौशल का उपयोग अपने शिष्य के खिलाफ किया। द्रोणाचार्य और अर्जुन के बीच एक विशेष गुरु-शिष्य संबंध था। अर्जुन ने द्रोणाचार्य से युद्ध और शस्त्रागार की शिक्षा ली थी। इस प्रकार, द्रोणाचार्य द्वारा अभिमन्यु की हत्या ने अर्जुन को गहरे आघात में डाल दिया।

चक्रव्यूह का खेल

द्रोणाचार्य का इस घटना में हिस्सा लेना और अभिमन्यु को घेरना अर्जुन के लिए व्यक्तिगत और भावनात्मक रूप से एक बड़ा झटका था। यह न केवल एक गुरु के खिलाफ धोखा था, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ था जिसे अर्जुन ने आदर्श माना था।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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