India News (इंडिया न्यूज), Ahoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी का पर्व विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने बच्चों की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन माताएं दिनभर उपवास रखकर अपने बच्चों की मंगलकामना करती हैं और संतान की समृद्धि और लंबी उम्र के लिए देवी अहोई माता की पूजा करती हैं। इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं जो माता-पिता के बच्चों की किस्मत को संवार सकते हैं।

थाल से किया गया विशेष उपाय:

अहोई अष्टमी के दिन एक बहुत ही प्रभावशाली उपाय थाल से जुड़ा हुआ है, जो माताएं अपने पुत्र की समृद्धि और भाग्य सुधारने के लिए करती हैं। इस उपाय का पालन करने के लिए, आप इन चरणों का अनुसरण कर सकते हैं:

थाल की तैयारी:

पूजा के लिए एक स्वच्छ पीतल या चांदी की थाली लें और उसमें हल्दी, कुमकुम, और चावल से माँ अहोई की आकृति या छवि बनाएं। इसे पूजा स्थान पर रखें। थाल को सुगंधित फूलों से सजाएं और दीपक जलाकर थाल के पास रखें।

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पूजन विधि:

सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें और दिनभर निराहार रहें। संध्या के समय अहोई माता की पूजा करें। पूजा के दौरान थाल को संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सफलता के लिए समर्पित करें। इसके बाद अहोई माता के समक्ष गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं और चंद्रमा को अर्घ्य दें।

विशेष मंत्र का उच्चारण:

पूजा के दौरान “ओम अहोई माता आयु, आरोग्य और समृद्धि दे” मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए थाल को सात बार घुमाएं। इससे नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और संतान के जीवन में सकारात्मकता आती है।

आरती के बाद थाल दान:

पूजा समाप्त होने के बाद थाल को किसी योग्य ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। इस थाल के दान से पुत्र के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

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धार्मिक कथा:

पौराणिक मान्यता के अनुसार, अहोई अष्टमी के दिन माता गौरा ने भी अपनी संतान के उज्ज्वल भविष्य और उसकी सुरक्षा के लिए इसी प्रकार से पूजा की थी। कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती अपने पुत्र कार्तिकेय के लिए चिंतित थीं। उन्होंने अपने पुत्र के मंगल की कामना करते हुए अहोई माता की उपासना की और इसी तरह थाल से विशेष पूजा कर पुत्र की रक्षा की प्रार्थना की। उनकी पूजा के परिणामस्वरूप कार्तिकेय को सफलता और सुरक्षा प्राप्त हुई।

अहोई अष्टमी का महत्त्व:

अहोई अष्टमी का पर्व मातृत्व और संतान के बीच के अद्वितीय रिश्ते को समर्पित है। इस दिन का व्रत और पूजा संतान की सुरक्षा, सफलता और सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। थाल से जुड़ा यह उपाय आपकी संतान के जीवन में अद्भुत परिवर्तन ला सकता है। धार्मिक दृष्टिकोण से इसे करना न केवल आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह आपके पुत्र के उज्ज्वल भविष्य की कामना का भी एक सशक्त माध्यम है।

अहोई अष्टमी का यह थाल से जुड़ा उपाय परंपरा, श्रद्धा और विश्वास का संगम है। इसे करते समय आप पूरे मन और भाव से अपने पुत्र के उज्ज्वल भविष्य की कामना करें। माता गौरा द्वारा की गई पूजा की तरह ही आपकी आराधना भी निश्चित रूप से फलदायी होगी और आपके पुत्र की किस्मत को चमकाने में सहायक होगी।

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