इंडिया न्यूज़: (Vaishakh Amavasya 2023 Upay) हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगली अमावस्या तिथि पड़ती है। इस तरह वैशाख माह में अमावस्या 20 अप्रैल को है। सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान-ध्यान, पूजा, जप, तप और दान का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या के दिन तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही पितृ प्रसन्न होकर अपने परिवार को सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

इसके अलावा अमावस्या तिथि को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके पश्चात, पूजा, जप, तप और दान करते हैं। वैशाख अमावस्या के दिन विशेष उपाय भी करने का विधान है। अगर आप अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से परेशान हैं, तो वैशाख अमावस्या के दिन ये खास उपाय जरूर करें।

वैशाख अमावस्या के दिन करें ये खास 5 उपाय

  1. अगर आप आर्थिक समस्या से परेशान हैं, तो वैशाख अमावस्या पर सत्तू का दान करें। धार्मिक मान्यता है कि वैशाख माह में सत्तू का दान करने से व्यक्ति को अक्षय फल प्राप्त होता है। साथ ही पितृ दोष की बाधा भी समाप्त होती है। इसके लिए अमावस्या के दिन सत्तू और जल का दान अवश्य करें।
  2. अमावस्या के दिन जरूरतमंद और असहाय लोगों की सहायता करें। साथ ही उन्हें भोजन कराएं। अतः अमावस्या के दिन अन्न दान अवश्य करें। इससे पितर प्रसन्न होते हैं।
  3. अगर बुरी शक्तियों की वजह से आप परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो वैशाख अमावस्या के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। सनातन शास्त्रों में निहित है कि महामृत्युंजय मंत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दुख दूर हो जाते हैं।
  4. अमावस्या के दिन कालसर्प दोष की पूजा और उपाय किए जाते हैं। अतः वैशाख अमावस्या के दिन चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें। इसके बाद नाग-नागिन को नदी में प्रवाहित करें। इस उपाय को करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
  5. अमावस्या के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा उपासना करने का विधान है। इस दिन विष्णु जी की पूजा करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इसके लिए अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करें। अगर सुविधा और समय का अभाव है, तो गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके पश्चात विष्णु जी की पूजा करें। साथ ही पवित्र सनातन ग्रंथ गीता के दूसरे अध्याय का पाठ करें।