India News (इंडिया न्यूज), Paigambar Mohammad Saahab Ne Meraaj Ka Saphar: इस्लाम में कई रातें ऐसी हैं, जिन्हें बेहद पाक (पवित्र) माना गया है। इन्हीं में से एक रात है ‘शब-ए-मेराज’, जिसे इंसानी इतिहास की सबसे अद्भुत यात्रा के रूप में जाना जाता है। इस रात, पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अल्लाह के हुक्म से मक्का से येरुशलम और फिर सात आसमानों तक का सफर किया। इस सफर को इस्लामी इतिहास में एक चमत्कार माना गया है।
शब-ए-मेराज का महत्व
शब-ए-मेराज इस्लामिक कैलेंडर के सातवें महीने रजब की 27वीं रात को मनाई जाती है। ‘शब’ का मतलब रात और ‘मेराज’ का अर्थ है ऊपर उठना। यह यात्रा रात के समय हुई और इसे “अल इसरा वल मेराज” के नाम से जाना जाता है। इसे दो हिस्सों में बांटा जा सकता है:
- अल इसरा: मक्का से येरुशलम तक का सफर।
- अल मेराज: सात आसमानों और सिदरतुल मुन्तहा तक की यात्रा।
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सफर की शुरुआत
इस ऐतिहासिक सफर की शुरुआत मक्का से हुई। एक रात हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने घर में सो रहे थे, तभी उनके घर की छत खुली और अल्लाह के फरिश्ते जिब्राइल अलैहिस्सलाम वहां पहुंचे। जिब्राइल उन्हें काबा शरीफ लेकर गए और वहाँ से एक विशेष जानवर बुराक पर बैठाकर मक्का से येरुशलम तक ले गए। बुराक की रफ्तार बिजली जैसी तेज थी। यह यात्रा चंद मिनटों में पूरी हुई, जबकि उस समय यह सफर 40 दिनों में तय किया जाता था।
मस्जिद-ए-अक्सा में इमामत
येरुशलम पहुँचने के बाद, हजरत मोहम्मद मस्जिद-ए-अक्सा में दाखिल हुए। वहां पहले से तमाम पैगंबर मौजूद थे। उन्होंने सभी को नमाज पढ़ाई और इमामत की। इसके बाद जिब्राइल ने उन्हें दो प्याले पेश किए—एक में दूध और दूसरे में शराब। उन्होंने दूध को चुना। इस पर जिब्राइल ने कहा कि आपने फितरत (प्राकृतिक गुण) को पसंद किया।
सात आसमानों का सफर
मस्जिद-ए-अक्सा से जिब्राइल उन्हें सात आसमानों की यात्रा पर लेकर गए।
- पहला आसमान: यहां हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुलाकात हजरते आदम अलैहिस्सलाम से हुई।
- दूसरा आसमान: यहां हजरते ईसा (जीसस) और उनके कजिन हजरते याहया से मिले।
- तीसरा आसमान: यहां उनकी भेंट हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम से हुई।
- चौथा आसमान: यहां हजरते इदरीस अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई।
- पांचवा आसमान: यहां उनकी मुलाकात हजरते हारून अलैहिस्सलाम से हुई।
- छठवां आसमान: यहां हजरत मूसा अलैहिस्सलाम से भेंट हुई।
- सातवां आसमान: यहां उन्होंने हजरते इब्राहीम अलैहिस्सलाम से मुलाकात की।
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सिदरतुल मुन्तहा और अल्लाह से मुलाकात
सातवें आसमान से आगे का सफर सिर्फ हजरत मोहम्मद के लिए संभव था। जिब्राइल ने उन्हें सिदरतुल मुन्तहा (वह स्थान जहां से आगे कोई नहीं जा सकता) तक अकेले जाने के लिए कहा। यहां उनकी अल्लाह से मुलाकात हुई। अल्लाह ने उन्हें तोहफे में पचास वक्त की नमाज दीं। लौटते समय हजरत मूसा ने सुझाव दिया कि यह संख्या कम करवाई जाए। कई बार की गुजारिश के बाद अल्लाह ने इसे घटाकर पांच वक्त की नमाज कर दिया।
मक्का वापसी
इस पूरी यात्रा के बाद, हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सुबह होने से पहले मक्का लौट आए। उन्होंने मक्का के लोगों को इस चमत्कारिक सफर के बारे में बताया। हालांकि, कई लोगों ने उनकी बात का मजाक उड़ाया, लेकिन जो लोग फिलिस्तीन गए थे, उन्होंने मस्जिद-ए-अक्सा के उनके वर्णन की सच्चाई की पुष्टि की।
मेराज का संदेश
मेराज का सफर मुसलमानों को यह संदेश देता है कि इंसान के जीवन में कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी हों, अल्लाह पर भरोसा रखने से सब ठीक हो सकता है। नमाज की फर्जियत का महत्व भी इसी यात्रा से जुड़ा है।
इस ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन इस्लामी ग्रंथों जैसे तफ्सीर इब्ने कसीर, तफ्सीर अल-तबरी, और सही बुखारी में मिलता है। शब-ए-मेराज सिर्फ एक चमत्कारिक घटना नहीं, बल्कि यह इस्लामी मान्यताओं और विश्वास का आधार है।