India News (इंडिया न्यूज), Pandavas 5 Village: महाभारत को दुनिया का सबसे भीषण युद्ध माना जाता है, जिसमें दोनों सेनाओं के लाखों योद्धा मात्र 18 दिनों में मारे गए थे। क्या आप जानते हैं कि दुर्योधन की तमाम चालाकी और छल के बावजूद इस महायुद्ध को टाला जा सका था? एक साधारण सी शर्त पूरी करने से युद्ध कभी नहीं होता। आइए आपको बताते हैं उन 5 गांवों की कहानी, जो आज मशहूर शहर बन चुके हैं, लेकिन इनकी वजह से महाभारत टल सका।
जुए में दुर्योधन-शकुनि के छल के कारण पांडवों ने कई साल वन में वनवास में बिताए, लेकिन लौटते समय उन्होंने अपना हक मांग लिया था। युद्ध टालने के लिए पांडवों ने दुर्योधन के सामने एक प्रस्ताव रखा था, जिसे स्वीकार कर लेने पर महाभारत युद्ध टल सकता था। दिल्ली से 100 किलोमीटर दूर मेरठ में हस्तिनापुर साम्राज्य की सीमाएं तब गांधार (वर्तमान में अफगानिस्तान) से आगे तक फैली हुई थीं।
पांडवों ने इतने विशाल साम्राज्य के आधे हिस्से के बजाय केवल 5 गांव मांगे थे ताकि वे अपने पिता पांडु की पैतृक संपत्ति का एक हिस्सा अपने पास रख सकें। कृष्ण पांडवों के इस प्रस्ताव को लेकर हस्तिनापुर गए, जहां धृतराष्ट्र, भीष्म पितामह और महात्मा विदुर ने भी इस प्रस्ताव पर सहमति जताई।
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पांडवों द्वारा मांगे गए गांव श्रीपत (इंद्रप्रस्थ), तिलप्रस्थ, व्याघ्रप्रस्थ, स्वर्णप्रस्थ और पांडुप्रस्थ थे, जिनमें से 4 आज प्रसिद्ध क्षेत्र हैं। पांडुप्रस्थ आज हरियाणा के पानीपत शहर के रूप में जाना जाता है, जिसका हथकरघा उद्योग पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। पानीपत में तीन प्रसिद्ध लड़ाईयां लड़ी गईं, जिनमें से पहली ने भारत में मुगल सल्तनत की शुरुआत की और तीसरी लड़ाई ने अहमद शाह अब्दाली से हारने के बाद मराठों की शक्ति को समाप्त कर दिया। महाभारत के बाद स्वर्णप्रस्थ सोनप्रस्थ और फिर सोनीपत बन गया, जो आज गुरुग्राम-फरीदाबाद के बाद हरियाणा का सबसे बड़ा रियल एस्टेट हब है।
श्रीपत यानी इंद्रप्रस्थ, राजधानी दिल्ली में है, जिसे पांडवों ने खांडवप्रस्थ वन को जलाने के बाद मय दानव से एक मायावी महल बनवाकर अपनी राजधानी बनाया था। तिलप्रस्थ वर्तमान में फरीदाबाद जिले का तिलपत कस्बा है। यमुना नदी के किनारे बसा यह कस्बा भी धीरे-धीरे विकसित हो रहा है। कुछ दावे हैं कि पांचवां गांव इंद्रप्रस्थ नहीं बल्कि वारणावर्त (वर्तमान बागपत जिले का बरनावा गांव) था, जहां लाख महल में पांडवों को जलाकर मारने की साजिश रची गई थी।
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