India News (इंडिया न्यूज़), Tawaif Dalipabai: साल 1892 के हिंदुस्तान में, इलाहाबाद के कोठे पर दलीपाबाई नामक एक मशहूर तवायफ का नाम गूंजता था। उनकी कला, गायकी, और अदाओं ने उन्हें खासा प्रसिद्ध किया। उनकी बेटी जद्दनबाई ने भी अपनी मां की कला को आगे बढ़ाया और खुद को हिंदुस्तानी रंगमंच और संगीत की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम के रूप में स्थापित किया।

जद्दनबाई न केवल एक बेहतरीन गायिका थीं, बल्कि उनकी जिंदगी में आने वाले रिश्ते और घटनाएं उन्हें भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान देती हैं। यह कहानी न केवल एक महिला के संघर्ष की है, बल्कि उस दौर के सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को भी दर्शाती है।

जद्दनबाई की शादी और पारिवारिक जीवन

पहली शादी: मियां जान

जद्दनबाई की पहली शादी सारंगी वादक मियां जान से हुई। इस शादी से उनकी पहली संतान जद्दनबाई का जन्म हुआ। जद्दनबाई ने अपनी मां के कला संसार को न केवल सीखा, बल्कि उसमें निखार लाकर एक बेहतरीन तवायफ का दर्जा हासिल किया।

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दूसरी शादी: नरोत्तमदास से मोहब्बत और शादी

जद्दनबाई की जिंदगी में पंडित नरोत्तमदास एक अहम शख्स बनकर आए। नरोत्तमदास, जद्दनबाई के दीवाने थे और उनसे शादी करने के लिए उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। वह नजीर मोहम्मद बन गए। इस शादी से उनका बेटा अख्तर हुसैन पैदा हुआ। हालांकि, कुछ सालों बाद नरोत्तमदास ने जद्दनबाई को छोड़ दिया।

तीसरी शादी: इरशाद मीर से रिश्ता

इसके बाद जद्दनबाई ने हार्मोनियम वादक इरशाद मीर से शादी की। इस शादी से उन्हें दूसरा बेटा अनवर हुसैन हुआ। परंतु यह रिश्ता भी लंबे समय तक नहीं चल सका, और दोनों ने तलाक ले लिया।

चौथी शादी: मोहनबाबू त्यागी से प्रेम

जद्दनबाई की जिंदगी में पंडित मोहनबाबू त्यागी आए, जिन्होंने उनके प्रति अपने प्रेम के लिए इस्लाम धर्म अपनाया और अब्दुल रशीद बन गए। इस शादी से जद्दनबाई ने एक बेटी को जन्म दिया, जो आगे चलकर भारतीय सिनेमा की महान अदाकारा नरगिस के नाम से जानी गईं।

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नरगिस: भारतीय सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री

जद्दनबाई की बेटी नरगिस ने भारतीय सिनेमा में ऐसा योगदान दिया, जो कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने राज कपूर के साथ कई शानदार फिल्में कीं और अपनी बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। उनकी जिंदगी, मां जद्दनबाई के संघर्ष और कला की प्रेरणा से भरी हुई थी।

जद्दनबाई की भूमिका भारतीय सिनेमा में

जद्दनबाई न केवल एक गायिका थीं, बल्कि उन्होंने भारतीय सिनेमा के शुरुआती दौर में भी योगदान दिया। उनके बेटे अनवर हुसैन और बेटी नरगिस ने सिनेमा जगत में अपनी पहचान बनाई। जद्दनबाई की कहानी उस समय की महिलाओं के संघर्ष, कला के प्रति उनकी निष्ठा, और समाज में बदलाव की एक झलक है।

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जद्दनबाई की जिंदगी कई उतार-चढ़ावों से भरी हुई थी। उनकी कहानी न केवल भारतीय समाज में तवायफ परंपरा के स्थान को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक महिला अपने कला और संघर्ष के माध्यम से खुद को स्थापित कर सकती है। उनकी बेटी नरगिस ने इस विरासत को सिनेमा के माध्यम से आगे बढ़ाया और भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर हो गईं।