India News (इंडिया न्यूज), Pitru Diwali celebrated in Gaya: पितृ पक्ष के 14वें दिन त्रयोदशी तिथि की शाम को विष्णुपद फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट पर पितृ दीपावली मनाने की परंपरा है। इस दौरान पितरों के लिए दीप जलाकर खुशियां मनाई जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन दीप जलाने से पितरों के स्वर्ग जाने का मार्ग प्रशस्त होता है। आज त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले तीर्थयात्री अपनी श्रद्धा के अनुसार एक हजार, पांच सौ, 365 या 108 दीप जलाकर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। ताकि उन्हें यमलोक से सीधे स्वर्गलोक भेजा जा सके और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके। इस साल पितृ दीपावली पर देवघाट पर विदेशी तीर्थयात्री भी दीप जलाते नजर आए।
गर्भगृह में 56 भोग लगाया गया
पितृ दीपावली को लेकर विष्णुपद मंदिर से लेकर देवघाट और फल्गु नदी पर बने रबर डैम तक सभी जगहों को आकर्षक रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया था। विष्णुपद मंदिर को भी आकर्षक लाइटों से सजाया गया था। देवघाट पर परिजनों द्वारा घी के दीये जलाए गए। देव दीपावली के अवसर पर विष्णुपद के गर्भगृह में 56 प्रकार का भोग लगाया गया।भारत के सबसे लंबे रबर डैम की खूबसूरती देखने लायक है। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दीप जलाए। इसके अलावा गया के स्थानीय लोगों ने भी देवघाट, विष्णुपद मंदिर और रबर डैम का दौरा किया और अपने कैमरों में आकर्षक तस्वीरें कैद कीं।
अपने पापों की क्षमा मांगते हैं
मान्यता के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को यमराज अपना लोक खाली कर सभी को धरती पर भेज देते हैं। कहा जाता है कि मनुष्य लोक में पहुंचकर सभी भूत-प्रेत और पितृ भूखे हो जाते हैं और अपने पापों की क्षमा मांगते हैं। इसके अलावा वे अपने परिजनों से खीर खाने की इच्छा रखते हैं, जिसके चलते ब्राह्मणों को खीर खिलाने से पितरों को मोक्ष मिलता है।
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