India News (इंडिया न्यूज), Premanand Maharaj: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचनों के दौरान भक्तों के जीवन से जुड़े व्यावहारिक सवालों के जवाब देते हुए जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उनके प्रवचन न सिर्फ आध्यात्मिक होते हैं बल्कि जीवन के व्यावहारिक और आर्थिक मामलों को भी छूते हैं। हाल ही में उनका एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उन्होंने एक भक्त के सवाल का जवाब दिया, जो कर्ज (पैसे उधार लेने) से संबंधित था।
सवाल: अगर पैसे उधार लेने के बाद देने की स्थिति न हो तो क्या करें?
इस सवाल का जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कर्ज और जिम्मेदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि:
- कर्ज तुरंत चुकाना चाहिए:
महाराज का मानना है कि अगर आपने किसी से पैसा उधार लिया है, तो उसे जल्द से जल्द वापस कर देना चाहिए। भले ही आपको दो दिन भूखे रहना पड़े, लेकिन कर्ज को टालना नहीं चाहिए। यह बात व्यक्तिगत जिम्मेदारी और नैतिकता पर जोर देती है। - सोच-समझकर कर्ज लें:
महाराज ने बताया कि कर्ज लेने से पहले व्यक्ति को अपनी आर्थिक स्थिति और सामर्थ्य का मूल्यांकन करना चाहिए। यदि आप कर्ज लौटाने की स्थिति में नहीं हैं, तो आपको कर्ज लेने से बचना चाहिए। उनका संदेश यह था कि “अपनी चादर के अनुसार ही पैर पसारो”। यानी, जितनी आपकी आय और क्षमता है, उसी के अनुसार खर्च करें। दूसरों को देखकर दिखावे में फंसकर कर्ज लेना उचित नहीं है। - कर्ज चुकाना एक नैतिक जिम्मेदारी है:
प्रेमानंद महाराज ने यह भी कहा कि अगर आपने कर्ज लिया है, तो आपको परिवार की जरूरतों को पूरा करते हुए, थोड़े-थोड़े करके कर्ज चुकाना चाहिए। इसके लिए मेहनत करना और आर्थिक स्थिति को सुधारते हुए धीरे-धीरे कर्ज चुकाने का प्रयास करना चाहिए। कर्ज लौटाना सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है। - अवसर और साधनों के अनुसार जीवन जीएं:
महाराज ने लोगों को आगाह किया कि किसी को देखकर दिखावे में आकर कर्ज लेना गलत है। मकान, गाड़ी या व्यापार के लिए कर्ज लेना और फिर अगर व्यापार में घाटा हो जाए तो कर्ज चुकाना कठिन हो जाता है। इसलिए, जीवन को जितनी सुविधाएं उपलब्ध हैं, उसी के अनुसार जीना चाहिए और अनावश्यक रूप से कर्ज लेकर अपने ऊपर बोझ नहीं डालना चाहिए।
प्रेमानंद महाराज का संदेश
महाराज का प्रवचन इस बात को स्पष्ट करता है कि कर्ज एक गंभीर जिम्मेदारी है, जिसे पूरी ईमानदारी और मेहनत से चुकाना चाहिए। जीवन में किसी भी प्रकार की आर्थिक लेन-देन सोच-समझकर और अपनी क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए। दिखावे या अनावश्यक खर्चों के कारण कर्ज लेना व्यक्ति को मानसिक और आर्थिक रूप से दबाव में डाल सकता है, जिससे निपटना कठिन हो सकता है।
उनका यह संदेश आम जीवन में संतुलन, जिम्मेदारी, और साधारणता के साथ जीने की प्रेरणा देता है, जो न सिर्फ आर्थिक स्थिरता लाने में मदद करता है बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
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निष्कर्ष
प्रेमानंद महाराज का यह प्रवचन एक स्पष्ट संदेश देता है कि कर्ज लेना एक गंभीर निर्णय है और इसे सोच-समझकर लेना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में, कर्ज चुकाना न केवल एक वित्तीय जिम्मेदारी है बल्कि एक नैतिक कर्तव्य भी है। यदि लोग अपनी सीमाओं और संसाधनों के अनुसार जीवन जीएं, तो कर्ज और उससे जुड़े तनाव से बचा जा सकता है।
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