India News (इंडिया न्यूज), Premanad Maharaj: सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसका धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक आधार भी है। प्रेमानंद महाराज ने सूर्य को अर्घ्य देने के कई लाभ और इसका सही तरीका बताया है। उनका मानना है कि सूर्य को जल चढ़ाने से जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं। आइए, जानते हैं सूर्य को अर्घ्य देने के फायदे और सही विधि।

सूर्य को जल चढ़ाने के लाभ:

1. आध्यात्मिक शांति और सकारात्मकता:

सूर्य को नियमित रूप से जल चढ़ाने से मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह क्रिया मानसिक तनाव को कम करती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ाती है।

2. आर्थिक समृद्धि:

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, सूर्य को अर्घ्य देने से आर्थिक समस्याएं धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। यह जीवन में स्थिरता और समृद्धि लाने में मदद करता है। सूर्य देवता को जल चढ़ाने से सौभाग्य और संपन्नता का आगमन होता है।

कश्मीर से वृंदावन आई इस लड़की आधी रात चोरी-छिपे आखिर क्यों किया निधिवन में प्रवेश, साक्षात दिखे श्री कृष्ण, और फिर हुआ ऐसा कि…?

3. स्वास्थ्य में सुधार:

सूर्य को जल चढ़ाने से स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सुबह की सूर्य की किरणों में खड़े होकर जल अर्पित करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, जो शरीर को रोगमुक्त करने में सहायक होता है। यह क्रिया आंखों और त्वचा के लिए भी लाभकारी मानी जाती है।

4. संतान सुख और परिवार की खुशहाली:

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जो लोग संतान प्राप्ति या पारिवारिक सुख की कामना करते हैं, उनके लिए सूर्य को जल चढ़ाना अत्यंत लाभकारी होता है। यह परिवार में शांति और प्रेम बनाए रखने में सहायक होता है।

कर्ण के शव को देख दुर्योधन के मुंह से निकला था कुछ ऐसा कि…पांडव भाइयों के भी उड़ गए थे होश?

5. मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि:

सूर्य देव को जल चढ़ाने से समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ती है। व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। सूर्य देवता जीवन में साहस और आत्मविश्वास प्रदान करते हैं, जिससे सफलता मिलती है।

सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि:

प्रेमानंद महाराज ने सूर्य को जल चढ़ाने का सही तरीका इस प्रकार बताया है:

समय और दिशा:

प्रातः काल सूर्योदय के समय पूर्व दिशा में मुंह करके खड़े होकर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इस समय सूर्य की पहली किरणें स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती हैं।

गंगा में भी नहीं धूलते ऐसे पाप, भगवान कृष्ण ने खुद गीता में दिया ये समाधान, जानें

जल पात्र:

तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें कुमकुम, चावल और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करें। तांबे का पात्र अर्घ्य देने के लिए सबसे उत्तम माना गया है।

अर्घ्य देते समय मंत्र:

अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देवता को जल चढ़ाएं। यह मंत्र शक्ति और ऊर्जा का संचार करता है।

2 अक्‍टूबर से इन 5 राशियों को रखना होगा फूंक-फूंक कर कदम…इनके जीवन में लगने जा रहा है 15 दिन का ऐसा ‘ग्रहण’ कि हो जाए सावधान!

अर्घ्य देने की विधि:

जल को लोटे से इस प्रकार चढ़ाएं कि सूरज की किरणें उस जल की धार से होकर आपके शरीर पर आएं। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

नियमितता:

सूर्य को अर्घ्य देने का कार्य नियमित रूप से करना चाहिए। यह आदत जीवन में स्थिरता और समृद्धि लाती है।

निष्कर्ष:

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, सूर्य को जल चढ़ाना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में कई सकारात्मक बदलाव भी लाता है। नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य देने से मनुष्य की आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य, मान-सम्मान और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है। सूर्य देव को समर्पित यह साधना जीवन में उन्नति और शांति प्राप्त करने का सरल और प्रभावी तरीका है।

4 नहीं बल्कि 5 भाई थे प्रभु श्री राम…लेकिन पांचवे भाई का जन्म नहीं था इतना भी समान, जानें कैसे हुआ था जन्म?

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।