India News (इंडिया न्यूज), Pulse Defects: हिंदू धर्म में विवाह से पहले कुंडली मिलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। माना जाता है कि अगर कुंडली मिलान सही तरीके से किया जाए तो वर-वधू का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। कुंडली मिलाते समय कई पहलुओं को देखा जाता है और उनमें से सबसे महत्वपूर्ण पहलू नाड़ी दोष होता है। आज हम आपको नाड़ी दोष के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे, हम आपको बताएंगे कि यह क्या है और नाड़ी दोष के कारण वैवाहिक जीवन में क्या-क्या परेशानियां आ सकती हैं।
जब कुंडली मिलाई जाती है तो 8 अलग-अलग पहलुओं पर विचार किया जाता है। जो इस प्रकार हैं- वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी। इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण है नाड़ी पर विचार करना, नाड़ी के सबसे अधिक 8 बिंदु होते हैं। नाड़ी भी 3 प्रकार की होती है- आदि, मध्य और अंत्य। माना जाता है कि अगर वर और वधू दोनों की कुंडली में नाड़ी एक ही हो तो नाड़ी दोष होता है। इसके कारण वैवाहिक जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में नाड़ी एक होने पर भी नाड़ी दोष नहीं होता है, इसका उल्लेख नीचे किया गया है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नाड़ी दोष वर-वधू के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इसके कारण बार-बार स्वास्थ्य खराब हो सकता है। नाड़ी दोष अंतरंग संबंधों पर भी बुरा प्रभाव डालता है। यदि किसी दंपत्ति की कुंडली में नाड़ी दोष है तो उन्हें गर्भधारण करने में परेशानी आ सकती है, इसके साथ ही संतान में भी कुछ अंतर देखने को मिल सकता है। नाड़ी दोष का बुरा प्रभाव दंपत्तियों के बीच कई तरह के मतभेद पैदा करने वाला भी माना जाता है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार नाड़ी दोष के कारण असामयिक मृत्यु भी हो सकती है। इन बातों के कारण नाड़ी दोष होने पर विवाह वर्जित होता है। हालांकि कुछ उपाय करके नाड़ी दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। आइए अब इन उपायों के बारे में जानते हैं।
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