India News(इंडिया न्यूज), Ramayan: रामायण की कथा तो सभी ने सुनी है, उसमें यह खंड भी सभी को पता है कि हनुमान जी माता सीता की खोज में निकले थे और लंका पहुंचने के बाद उन्हें बंधी बनाया गया था। जिसके बाद उनकी पूछ में आग लगा दी गई थी और अपनी पूछ की आग को लेकर उन्होंने लंका को जला दिया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे भी एक वजह मौजूद है जिस कारण से लंका जली।
- क्यों जली थी सोने की लंका
- माता पार्वती का था श्राप
इस कारण से जली लंका
पुरानी कथाओं के अनुसार बताएं तो एक बार माता पार्वती ने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को कैलाश पर्वत पर आमंत्रित किया था और दोनों वहां पहुंचे थे। वहां आकर मां लक्ष्मी ठंडी से ठिठुरने लगी थी। इसके बाद मां लक्ष्मी ने माता पार्वती से कहा आखिर यहां पर इतनी ठंड है वह कैसे रहती है। जिसे सुनने के बाद माता पार्वती को काफी अजीब लगा जिससे वह दुखी भी हुई। Ramayan
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माता पार्वती की थी इच्छा
फिर कुछ समय बाद जब भगवान शिव और माता पार्वती बैकुंठ धाम पहुंचे तो वहां वैभव देखकर माता पार्वती ने शिवजी के समक्ष भव्य महल बनाने की इच्छा जाहिर की, इसके बाद भगवान शिव ने देव शिल्पी विश्वकर्मा को सोने की लंका बनाने का कार्य सोप था और लंका तैयार होने के बाद पूजा के लिए रावण के पिता ऋषि विश्रवा को बुलाया गया। पूजा करने के बाद जब दक्षिणा की बारी आए तो ऋषि ने दान में सोने की लंका ही मांगी और भगवान शिव ने लंका को दान में दे।
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माता पार्वती हो गई थी क्रोधित Ramayan
भगवान शिव के स्थान को देखने के बाद ऋषि से माता काफी क्रोधित हो गई और उन्होंने उन्हें श्राप दिया की जिस नगर को तुमने दान में मांगा है। वह नगर भस्म हो जाएगा और माता पार्वती के श्राप की वजह से ही हनुमान जी ने सोने की लंका को जलाकर भस्म कर दिया।
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