India News(इंडिया न्यूज), Ratna Shastra: रत्न शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र का एक अंग माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कुंडली में कोई ग्रह कमजोर हो तो वह अशुभ फल देता है। ऐसे में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने और शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। अगर किसी व्यक्ति को धन संबंधी कोई परेशानी आ रही है या उसके पास पैसा नहीं टिक रहा है तो उसे मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
अगर मां लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ उनका प्रिय रत्न भी पहना जाए तो व्यक्ति को जल्द ही धनवान बनने के योग बनते हैं। रत्न शास्त्र में एक ऐसे रत्न का जिक्र है जो मां लक्ष्मी को प्रिय है और धन को आकर्षित करने में मदद करता है। इसे पहनने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- ये रत्न मां लक्ष्मी के है करीब
- इस तरह मां बरसाती है अपनी कृपा
मां लक्ष्मी का पसंदीदा रत्न
रत्न शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो स्फटिक रत्न को मां लक्ष्मी का सबसे प्रिय रत्न माना जाता है। ऐसे में अगल किसी ज्योतिष की सलाह के साथ इसकों सही तरीके से धारण किया जाए तो जल्द व्यक्ति के ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। इससे व्यक्ति की धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। आपको बता दें कि यह रंगहीन और पारदर्शी पत्थर होता है। इस रत्न के बारे में मान्यता है कि इसे देवी लक्ष्मी अपने गले में धारण करती हैं। इसलिए इस क्रिस्टल को कंठहार भी कहा जाता है। Ratna Shastra
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क्रिस्टल धारण करने के लाभ
रत्नशास्त्र के अनुसार, क्रिस्टल की माला पहनने से व्यक्ति के लिए धन का सृजन होता है। रत्नशास्त्र के अनुसार, क्रिस्टल की माला बहुत शुभ मानी जाती है। इसे धारण करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति पारिवारिक कलह से मुक्त होता है। ज्योतिष के अनुसार, अधिक लाभ के लिए आप इसे घर की तिजोरी में भी रख सकते हैं। शुभ फलों की तिजोरी को घर की दक्षिण दिशा में स्थापित करें और इसका मुख उत्तर दिशा की ओर रखें।
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क्रिस्टल धारण करने के नियम Ratna Shastra
ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि, अगर आप क्रिस्टल को पहनने का विचार कर रहे हैं, तो इसको खास तौर पर शुक्रवार और बुधवार के दिन ही पहनना चाहिए। माला के साथ इसको आप अंगूठी में भी पहन सकते है। इसके साथ ही बता दें कि क्रिस्टल को पहनने से पहले इसको गंगाजल से शुद्ध करना बहुत जरूरी होता है। जिसके बाद आपको उसे देवी लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करना है। इसके बाद 7 बार ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः मंत्र का जाप करें। इसके बाद ही इस रत्न को धारण करें।
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