India News (इंडिया न्यूज), Reason Of Ravan’s Death: रामायण की कहानी में भगवान राम, माता सीता, और रावण के युद्ध का प्रसंग सभी को ज्ञात है, लेकिन आनंद रामायण में रावण और माता कौशल्या के बीच एक अन्य रहस्यमय प्रसंग का उल्लेख मिलता है। यह कथा बताती है कि सीताहरण से पहले, रावण ने माता कौशल्या का भी अपहरण किया था। इस प्रसंग के अनुसार, रावण ने अपनी मृत्यु को टालने के प्रयास में यह कुचेष्टा की थी। आइए इस अद्भुत कथा को विस्तार से समझते हैं।
रावण के मन में यह जानने की इच्छा उत्पन्न हुई कि उसकी मृत्यु कब और कैसे होगी। उसे विश्वास था कि यदि वह पहले से जान सके तो वह अपनी मृत्यु पर विजय प्राप्त कर अमर हो सकता है। इस आशा के साथ, रावण ब्रह्माजी के पास पहुँचा और उनसे अपनी मृत्यु का रहस्य जानने की प्रार्थना की। ब्रह्माजी ने मुस्कुराते हुए कहा, “हे दशानन, मृत्यु को कोई टाल नहीं सकता। जिसने जन्म लिया है, उसे एक न एक दिन मृत्यु का सामना करना ही पड़ेगा। तुम्हारी मृत्यु अयोध्या नरेश दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र राम के हाथों होगी।”
ब्रह्मा जी के इस कथन से रावण भयभीत और बेचैन हो गया। उसने सोचा कि यदि राम का जन्म ही न हो, तो उसकी मृत्यु टल जाएगी और वह अमर हो जाएगा।
रावण ने अपनी मृत्यु को टालने के लिए एक योजना बनाई। उसने निश्चय किया कि यदि राजा दशरथ और माता कौशल्या का विवाह न हो सके, तो राम का जन्म नहीं होगा। इसी योजना के अंतर्गत, जिस दिन माता कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से होने वाला था, रावण ने माता कौशल्या का अपहरण कर लिया। उसने माता कौशल्या को एक मायावी बक्से में बंद कर एक निर्जन द्वीप पर ले जाकर छिपा दिया। रावण अपने इस कृत्य से अत्यंत प्रसन्न था, उसे विश्वास था कि उसने अपनी मृत्यु पर विजय पा ली है।
इसी बीच देवर्षि नारद को इस घटना का ज्ञान हुआ। नारद मुनि ने तुरंत जाकर राजा दशरथ को माता कौशल्या के अपहरण की पूरी घटना बताई। माता कौशल्या को छुड़ाने के लिए राजा दशरथ अपनी सेना के साथ उस द्वीप पर पहुंचे, जहाँ रावण ने माता कौशल्या को कैद कर रखा था। राजा दशरथ ने कठिन संघर्ष के बाद माता कौशल्या को उस मायावी बक्से से मुक्त कराया। बक्से के अंदर वे मूर्छित अवस्था में थीं। राजा दशरथ माता कौशल्या को अयोध्या वापस ले आए।
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राजा दशरथ ने माता कौशल्या के साथ विवाह संपन्न किया, जिसमें विधि-विधान और मंत्रोच्चार के साथ अग्निदेव को साक्षी मानकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। अग्निदेव के आशीर्वाद से भगवान राम का जन्म हुआ। बाद में राम ने अपने पराक्रम से रावण का वध किया, जैसा कि ब्रह्माजी ने भविष्यवाणी की थी।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि मृत्यु का समय निश्चित है और उससे बचने का कोई मार्ग नहीं है। रावण जैसे शक्तिशाली और मायावी व्यक्ति ने भी मृत्यु से बचने के लिए कई उपाय किए, लेकिन अंततः वह भगवान राम के हाथों मारा गया। इस कथा से जीवन का यह सत्य उजागर होता है कि समय आने पर हर व्यक्ति को अपनी कर्मगति के अनुसार फल भुगतना ही पड़ता है।
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