India News (इंडिया न्यूज़), Ravana In Mahabharat: महाभारत काल में रावण के पुनर्जन्म की कथा बहुत ही रोमांचक और रहस्यमयी है। इसके अनुसार, रावण ने त्रेता युग में भगवान राम के हाथों मारे जाने के बाद द्वापर युग में फिर से जन्म लिया था। उसका इस जन्म में मृत्यु भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण द्वारा हुई थी। रावण ने द्वापर युग में भी अपनी शक्तियों का अभियोग किया और उसका अंत भगवान श्रीकृष्ण द्वारा हुआ था।

रावण का द्वापर युग में जन्म लेना एक ऐतिहासिक और धार्मिक कथा है, जिसमें उन्होंने अपनी पूर्व जन्म के कर्मों का फल भोगा। उनका जन्म मानवता को धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई का प्रतीक माना जाता है, जो उस समय के समाज की मानवीयता और नैतिकता को प्रतिबिंबित करता है।

यह कथा बताती है कि रावण का अंत फिर से भगवान के अवतार के हाथों हुआ, जो उसके पूर्व जन्म के कर्मों का फल था। इसके माध्यम से, हमें यह सीख मिलती है कि कर्मों का फल सदैव भोगना पड़ता है, और धर्म की पालना हमें उच्चतम धार्मिक और नैतिक मार्ग पर ले जाती है।

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ऐसे हुआ था रावण का महाभारत काल में पुनर्जन्म

महाभारत में रावण के पुनर्जन्म की घटना बहुत ही रोमांचक और विवादास्पद है। इसके अनुसार, रावण ने द्वापर युग में फिर से जन्म लिया था और उसका जन्म श्री कृष्ण की बुआ यानी कि श्रीकृष्ण की बुआ के गर्भ से हुआ था। इस कथा के अनुसार, रावण का जन्म शिशुपाल के रूप में हुआ था।

श्रीकृष्ण के जीवन में, शिशुपाल ने बहुत ही अपशब्द बोले जिन्हें उन्होंने 100 अपराधों के बाद भी माफ किया। फिर भी, उनकी अत्याचारपूर्ण कृतियों के कारण, श्रीकृष्ण ने उनका शीर्ष अपवाद देते हुए उनका शीर उठा लिया। इसी समय पर, श्रीकृष्ण ने अपने पिता वसुदेव के द्वारा जाना कि शिशुपाल वासुदेव के भाई और उनकी बुआ श्रीकृष्ण के माता यशोदा की बहन थी।

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