धर्म

सिर्फ शस्त्र और शास्त्र में ही नहीं बल्कि इस वाद्य यंत्र को बजाने में भी इतना निपुण था रावण की खुद भगवान शिव भी हो जाते थे मोहित?

India News (इंडिया न्यूज), Ravan Playing Veena: रावण का व्यक्तित्व बहुत जटिल और बहुआयामी था, जो न केवल एक महान योद्धा और शासक था, बल्कि एक अद्भुत विद्वान, ज्योतिषी, वास्तुशास्त्री, और संगीतज्ञ भी था। हालांकि वह अधर्म और अहंकार का प्रतीक माना जाता है, परंतु उसकी विद्वता और कला के प्रति गहरी रुचि को नकारा नहीं जा सकता। रावण के पास एक विशेष गुण था, जो उसे बाकी असुरों और राक्षसों से अलग बनाता था – वह संगीत का बहुत बड़ा प्रेमी था, और वीणा बजाने में उसे महारत हासिल थी।

रावण की संगीत प्रतिभा:

रावण न केवल एक योद्धा था, बल्कि उसे संगीत के प्रति भी अद्भुत प्रेम था। वह वीणा बजाने में इतना निपुण था कि जब वह वीणा पर अपनी तान छेड़ता था, तो स्वर्ग के देवता भी उसकी धुन सुनने के लिए धरती पर उतर आते थे। रावण अपनी वीणा से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करता था, क्योंकि वह शिव का अनन्य भक्त था। यही कारण है कि उसके रथ के ध्वज पर भी वीणा का चित्र बना हुआ था, जो उसके संगीत प्रेम और भगवान शिव के प्रति उसकी भक्ति को दर्शाता है।

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रावण हत्था का आविष्कार:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने खुद एक वाद्य यंत्र का आविष्कार किया था, जिसे “रावण हत्था” कहा जाता है। यह एक तार वाला वाद्य यंत्र था, जिसे आज वायलिन का पूर्वज माना जाता है। राजस्थान और गुजरात में आज भी यह वाद्य यंत्र प्रचलित है, और इसका उपयोग लोक संगीत में होता है। यह यंत्र रावण की संगीत के प्रति गहरी समझ और उसके आविष्कारशील दिमाग का प्रमाण है।

हनुमान जी भी प्रभावित:

रामायण में एक घटना का वर्णन है, जब हनुमान जी रावण की कला से प्रभावित हुए थे। जब हनुमान जी लंका में सीता माता की खोज करने गए थे, तब उन्होंने रावण के दरबार में उसकी कला और संगीत का प्रदर्शन देखा और उसकी प्रतिभा से प्रभावित हुए।

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रावण का योगदान:

रावण की छवि को केवल एक खलनायक के रूप में देखना उसकी संपूर्णता को नहीं दर्शाता। वह एक महान विद्वान, वैज्ञानिक और कलाकार था। ज्योतिष, वास्तु, और चिकित्सा के क्षेत्र में उसका योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है। उसकी संगीत कला और उसके द्वारा आविष्कृत वाद्य यंत्र ने सांस्कृतिक धरोहर में एक अमिट छाप छोड़ी है।

निष्कर्ष:

रावण का व्यक्तित्व और उसकी कला की गहरी समझ यह दर्शाती है कि वह सिर्फ एक अहंकारी या अधर्मी शासक नहीं था, बल्कि उसमें कई अद्भुत गुण भी थे। उसकी संगीत के प्रति दीवानगी और वीणा की महारत यह साबित करती है कि वह एक कलाकार के रूप में भी उत्कृष्ट था, जिसे आज भी याद किया जाता है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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