India News (इंडिया न्यूज़), Ravan’s Powerful Yog: रावण, रामायण का एक महत्वपूर्ण पात्र, नकारात्मक होते हुए भी एक महान पंडित और विद्वान के रूप में जाना जाता है। उसकी विद्वता और शक्तियों के कारण ही वह भारतीय पौराणिक कथाओं में एक अद्वितीय स्थान रखता है।

रावण का व्यक्तित्व

रावण विश्रवा ऋषि का पुत्र था, जिनका संबंध ब्रह्मा जी से है। उसकी दो अलग संस्कृतियों का मिश्रण उसे अद्वितीय और महाशक्तिशाली बनाता है। लेकिन इस महानता के बावजूद, उसका अहंकार अंततः उसके विनाश का कारण बना।

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रावण की कुंडली

रावण की कुंडली सिंह लग्न की थी, जिसका स्वामी सूर्य देव है। इसके अलावा, उसकी कुंडली में बृहस्पति की उपस्थिति ने उसे अत्यधिक शक्ति प्रदान की। बृहस्पति, पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है।

  • पंचम भाव: बृहस्पति की उपस्थिति ने उसे पूर्व जन्म के कारण विशेष योग्यताओं से संपन्न किया।
  • अष्टम भाव: इसी भाव में सूर्य और बृहस्पति के साथ शुक्र की भी उपस्थिति है, जो रावण को गुप्त विद्याओं का ज्ञाता बनाती है।

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अमृत वाणी और शिव की भक्ति

रावण की कुंडली में उच्च का बुध द्वितीय भाव में है, जो उसे अद्भुत वाणी का धनी बनाता है। उसकी अमृत वाणी ने उसे यंत्र, तंत्र और मंत्र के रहस्यों को समझने में सक्षम बनाया। ऋग्वेद और वैदिक काल के मंत्रों में छिपे ज्ञान को रावण ने आसानी से ग्रहण किया और भगवान शिव को प्रसन्न करने में सफल रहा।

निष्कर्ष

रावण एक जटिल पात्र है, जो अपनी विद्वता, शक्ति और भक्ति के लिए जाना जाता है। लेकिन अंततः उसका अहंकार और अन्यायपूर्ण कार्य उसके पतन का कारण बने। उसकी कहानी हमें यह सिखाती है कि ज्ञान और शक्ति का सही उपयोग ही व्यक्ति के चरित्र और भाग्य को निर्धारित करता है।

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