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Ravivar Ki Katha : जाने रविवार की कथा और आसान विधि

Neelima Sargodha • LAST UPDATED : February 19, 2022, 1:57 pm IST

Ravivar Ki Katha

Ravivar Ki Katha: सूर्य से इस संसार में प्रकाश होता है और सूर्य सभी ग्रहों का राजा भी माना जाता है। सूर्य ग्रह की पूजा व अर्चना से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है। सूर्य के उदय होते ही अंधकार जगत में प्रकाश को फैल जाता हैं। यदि आप इस दिन सूर्यदेव की विधि वत पूजा- अर्चना करते हैं तो आपको सभी सुख प्राप्त होते हैं।

ऐसा माना जाता है कि सूर्यदेव की पूजा करने या प्रतिदिन जल चढ़ाने से आपके धन, नौकरी ,व्यापार और यश मान जैसी समस्याओं का हल हो जाएगा। इनका प्रिय रंग लाल है। इसलिए इस दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करते हुए लाल पुष्प चढ़ाए जाते हैं। अगर आप भी सूर्यदेव का अशीर्वाद पाना चाहते हैं तो जानिऐं रविवार के व्रत की पूजा विधि, कथा और महत्व के बारे में।

रविवार के व्रत की पूजा विधि (Ravivar Vrat Ki Katha)

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। और तांबें के लोटे में जल भरकर उसमें कुमकुम ,गुड़ डाल कर उन्हें अर्पित करें। सूर्य को जल देते हुए मां लक्ष्मी की आराधना करें। गाय के शुद्ध देसी घी से दीपक जलाकर सूर्यदेव की पूजा करें।

सूर्य देव व्रत कथा (Surya Dev Vrat Katha)

रविवार का व्रत तथा कथा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति किसी चीज़ की कमी नहीं रहती। रविवार की कथा इस प्रकार से है।
प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी। वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती। रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती, उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए रविवार व्रत कथा सुन कर सूर्य भगवान का भोग लगाकर दिन में एक समय भोजन करती। सूर्य भगवान की अनुकम्पा से बुढ़िया को किसी प्रकार की चिन्ता व कष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था।

उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे बुरी तरह जलने लगी। बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। अत: वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी। पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया। रविवार को गोबर न मिलने से बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप सकी। आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया।

सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी-प्यासी सो गई। प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उस बुढ़िया की आंख खुली तो वह अपने घर के आंगन में सुन्दर गाय और बछड़े को देखकर हैरान हो गई। गाय को आंगन में बांधकर उसने जल्दी से उसे चारा लाकर खिलाया। पड़ोसन ने उस बुढ़िया के आंगन में बंधी सुन्दर गाय और बछड़े को देखा तो वह उससे और अधिक जलने लगी। तभी गाय ने सोने का गोबर किया।
गोबर को देखते ही पड़ोसन की आंखें फट गईं। पड़ोसन ने उस बुढ़िया को आसपास न पाकर तुरन्त उस गोबर को उठाया और अपने घर ले गई तथा अपनी गाय का गोबर वहां रख आई। सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई। गाय प्रति दिन सूर्योदय से पूर्व सोने का गोबर किया करती थी और बुढ़िया के उठने के पहले पड़ोसन उस गोबर को उठाकर ले जाती थी।

बहुत दिनों तक बुढ़िया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता ही नहीं चला। बुढ़िया पहले की तरह हर रविवार को भगवान सूर्यदेव का व्रत करती रही और कथा सुनती रही।लेकिन सूर्य भगवान को जब पड़ोसन की चालाकी का पता चला तो उन्होंने तेज आंधी चलाई। आंधी का प्रकोप देखकर बुढ़िया ने गाय को घर के भीतर बांध दिया। सुबह उठकर बुढ़िया ने सोने का गोबर देखा उसे बहुत आश्चर्य हुआ। उस दिन के बाद बुढ़िया गाय को घर के भीतर बांधने लगी। सोने के गोबर से बुढ़िया कुछ ही दिन में बहुत धनी हो गई।

उस बुढ़िया के धनी होने से पड़ोसन बुरी तरह जल-भुनकर राख हो गई और उसने अपने पति को समझा-बुझाकर उस नगर के राजा के पास भेज दिया। सुन्दर गाय को देखकर राजा बहुत खुश हुआ। सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उधर सूर्य भगवान को भूखी-प्यासी बुढ़िया को इस तरह प्रार्थना करते देख उस पर बहुत करुणा आई।

उसी रात सूर्य भगवान ने राजा को स्वप्न में कहा, राजन, बुढ़िया की गाय व बछड़ा तुरन्त लौटा दो, नहीं तो तुम पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा। तुम्हारा महल नष्ट हो जाएगा। सूर्य भगवान के स्वप्न से बुरी तरह भयभीत राजा ने प्रात: उठते ही गाय और बछड़ा बुढ़िया को लौटा दिया। राजा ने बहुत-सा धन देकर बुढ़िया से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। राजा ने पड़ोसन और उसके पति को उनकी इस दुष्टता के लिए दण्ड दिया।

फिर राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि सभी स्त्री-पुरुष रविवार का व्रत किया करें। रविवार का व्रत करने से सभी लोगों के घर धन-धान्य से भर गए। चारों ओर खुशहाली छा गई। सभी लोगों के शारीरिक कष्ट दूर हो गए। राज्य में सभी स्त्री-पुरुष सुखी जीवन-यापन करने लगे।

सूर्य देव को जल चढ़ाने का महत्व (importance Ravivar Ki Katha In Hindi)

सूर्यदेव को जल चढ़ाए बिना रविवार की पूजा पूरी नहीं होती। सूर्यदेव को जल अर्पित करने से सभी परेशानियां तो दूर होती ही हैं। अगर आप ऐसा प्रतिदिन करते हैं तो भगवान की कृपा आपके ऊपर बरसती रहेगी। इसके साथ ही धन में वृद्धि होनी शुरू हो जाती है। अगर सूर्यदेव आपकी पूजा-अर्चना से प्रसन्न हैं तो आपके घर की तिजौरी कभी खाली नहीं रहेगाी । हर जगह उसके मान सम्मान में वृद्धि होगी इसके अलावा दुश्मन भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाऐंगे।

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