धर्म

आखिर कौन होते हैं ये तंगतोड़ा साधु? अखाड़ें में देनी पड़ती है ऐसी भयानक परीक्षा जिनसे कांपती है आज भी हर एक साधु की रूह!

India News (इंडिया न्यूज), Reality of Tangtoda Sadhu: भारत की आध्यात्मिक परंपरा में महाकुंभ का विशेष स्थान है। यह केवल नागा साधुओं का जमावड़ा नहीं है, बल्कि तंगतोड़ा साधुओं की उपस्थिति भी इस आयोजन को विशिष्ट बनाती है। तंगतोड़ा साधु, जो बड़ा उदासीन अखाड़े का हिस्सा होते हैं, अखाड़े की परंपराओं और त्याग के सर्वोच्च आदर्शों का प्रतीक माने जाते हैं। इनका चयन और प्रशिक्षण इतना कठिन होता है कि इसे यूपीएससी के इंटरव्यू से भी अधिक चुनौतीपूर्ण माना जाता है।

कौन होते हैं तंगतोड़ा साधु?

तंगतोड़ा साधु वे साधु हैं जो अपने जीवन में पूर्ण त्याग और अखाड़े के नियमों का पालन करते हुए बड़ा उदासीन अखाड़े के कोर टीम का हिस्सा बनते हैं। जो व्यक्ति अपने परिवार, माता-पिता और स्वयं का पिंडदान कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाते हैं, उन्हें सात शैव अखाड़ों में नागा कहा जाता है, जबकि बड़ा उदासीन अखाड़े में इन्हें तंगतोड़ा साधु की संज्ञा दी जाती है। ये साधु अखाड़े के सिद्धांतों और परंपराओं का पालन जीवनभर करते हैं।

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तंगतोड़ा साधु बनने की कठिन प्रक्रिया

तंगतोड़ा साधु बनने की प्रक्रिया अत्यंत कठोर और चुनौतीपूर्ण है। इसे यूपीएससी के इंटरव्यू से कठिन इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें पूछे जाने वाले सवालों के उत्तर किसी भी किताब या लेख में नहीं मिलते। ये प्रश्न साधु परंपराओं और आध्यात्मिक सिद्धांतों की गहरी समझ पर आधारित होते हैं।

चयन प्रक्रिया

तंगतोड़ा साधु बनने के लिए उम्मीदवारों का चयन रमता पंच करती है। यह समिति अखाड़े की चयन प्रक्रिया का संचालन करती है। इस प्रक्रिया में उम्मीदवारों का मानसिक और शारीरिक परीक्षण किया जाता है, जो कई दिनों तक चलता है।

  • धूना तापना: खुले आसमान के नीचे अलाव के सामने 24 घंटे बैठने की चुनौती। यह साधु के धैर्य और तप को मापने का साधन है।
  • गहन प्रश्न:
    • सेवा: साधु के जीवन में सेवा के महत्व को समझना।
    • टकसाल: अखाड़े की संपत्ति और उसके उपयोग की समझ।
    • गुरु मंत्र: साधु के आध्यात्मिक ज्ञान और उसकी गहराई।
    • चिमटा और धुंधा: अखाड़े के प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक साधनों की जानकारी।

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मानसिक और शारीरिक चुनौतियाँ

इन साधुओं को कठोर मानसिक और शारीरिक तप से गुजरना पड़ता है। चयन प्रक्रिया में उनका आत्मसंयम, तपस्या, और अखाड़े के प्रति उनकी निष्ठा की जांच होती है।

अखाड़े की परंपरा और तंगतोड़ा साधु का महत्व

तंगतोड़ा साधु केवल अखाड़े के साधारण सदस्य नहीं होते, बल्कि वे अखाड़े की कोर टीम का हिस्सा बनते हैं। इनका जीवन त्याग, तपस्या और अखाड़े की परंपराओं के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। इनका योगदान अखाड़े की गतिविधियों और परंपराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

तंगतोड़ा साधु भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक अद्वितीय उदाहरण हैं। इनकी कठोर चयन प्रक्रिया, तपस्या, और जीवनभर के लिए अखाड़े की परंपराओं का पालन इन्हें साधारण साधुओं से अलग बनाता है। महाकुंभ में इनका जमावड़ा न केवल अखाड़े की शक्ति और परंपरा को दर्शाता है, बल्कि भारतीय आध्यात्मिकता की गहराई और जटिलता को भी उजागर करता है। तंगतोड़ा साधु भारतीय संत परंपरा का एक ऐसा आदर्श हैं, जो त्याग और तपस्या के उच्चतम स्तर का प्रतीक है।

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Prachi Jain

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