India News (इंडिया न्यूज़), Why Muslims Don’t keep Mustache: दाढ़ी और मूंछ रखने का मामले को अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से सोचा जा सकता है। मुस्लिम धर्म में दाढ़ी रखना अहम माना जाता यह उनके धार्मिक परंपरा से जुड़ा हुआ है। जो पैगंबर मोहम्मद साहब की शिक्षाओं और इस्लामी मान्यताओं से संबेधी है। इसके बारे में जानने के लिए हमें धार्मिक, ऐतिहासिक, और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को समझना जरूरी है।
मुस्लिम धर्म में दाढ़ी रखना एक धार्मिक परंपरा है। पैगम्बर मोहम्मद ने पुरुषों को दाढ़ी बढ़ाने और मूंछें छोटी रखने का निर्देश दिया था। हदीस (पैगम्बर मोहम्मद की बातें और कार्य) इस संदर्भ में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। एक प्रतिष्ठित हदीस में कहा गया है: “दाढ़ी बढ़ाओ और मूंछें काटो,” जिसका अर्थ यह है कि मुस्लिम पुरुषों को दाढ़ी बढ़ानी चाहिए और मूंछें छोटी या छोटी रखनी चाहिए। यह हदीस स्पष्ट रूप से मुसलमानों को दाढ़ी बढ़ाने और मूंछें साफ रखने का निर्देश देती है।
इस्लाम में दाढ़ी रखना सुन्नत माना जाता है, यानी की पैगंबर मोहम्मद के तरीकों का पालन करना। इस्लाम धर्म में पैगंबर के जीवन के तरीके और उनके निर्देशों का पालन करना जीवन के हर कदम पर मार्गदर्शन प्रदान करता है। दाढ़ी रखना इस्लामी परंपरा का एक अभिन्न अंग है और इसे धार्मिक कर्तव्य के रूप में देखा जाता है। हालाँकि इस्लाम में मूंछ रखने पर रोक नहीं है, लेकिन उन्हें छोटा और साफ-सुथरा रखना महत्वपूर्ण माना जाता है।
छोटे मूंछ रखने की सलाह स्वच्छता से भी संबंधी है। मुस्लिम धर्म में स्वच्छता को बहुत अहम माना गया है। मूंछों को ज्यादा बड़ा ना रखें तो भोजन और गीले पदार्थों का सेवन करते समय साफ-सफाई कायम रहती है। इसका एक व्यावहारिक पहलू भी है, जिसकी मदद से सामाजिक स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वास्थ्य बेहतरीन रखा जा सके।
दाढ़ी रखना सिर्फ़ धार्मिक परंपरा ही नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी जरूरी है। इस्लाम धर्म के शुरुआती दिनों में दाढ़ी को पहचान और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता था। समय बितने के साथ-साथ मुस्लिम धर्म में दाढ़ी रखना सम्मान और धार्मिक भक्ति का प्रतीक बन गया। आज के समय में भी कई मुस्लिम देशों और समुदायों में दाढ़ी रखना एक उच्च आदर्श माना जाता है और इसे बड़े गर्व के साथ मनाया जाता है।
दाढ़ी और मूंछ रखने के इस्लामी सिद्धांत स्पष्ट हैं, पर कुछ मुस्लिम समाजों में इसके पालन की तीव्रता अलग-अलग हो सकती है। कुछ लोग मूंछ को पूरी तरह से हटा देते हैं, जबकि अन्य इसे बहुत छोटा रखते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं का पालन करना है। दाढ़ी और मूंछ से जुड़े ये धार्मिक और सांस्कृतिक सिद्धांत इस्लामी आस्था के गहरे मूल्यों को दर्शाते हैं। दाढ़ी रखना न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह स्वच्छता, अनुशासन और पैगंबर मुहम्मद की परंपराओं का पालन करने का एक तरीका भी है। छोटी मूंछ रखने की परंपरा भी इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है, जो स्वच्छता और धार्मिक भक्ति को प्रकट करती है। मुसलमानों के लिए दाढ़ी रखना और मूंछ न रखना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का मामला है, जो इस्लाम की गहरी परंपराओं से जुड़ा हुआ है।
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