India News (इंडिया न्यूज), Diwali Vastu Tips: सनातन धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है। 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में घी के दीये जलाए गए थे। इसी वजह से हर साल दिवाली मनाई जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा का भी प्रावधान है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, धन और संपत्ति का आशीर्वाद देती हैं। हर साल दिवाली के दिन प्रदोष काल में गणेश-लक्ष्मी की नई मूर्ति स्थापित कर उनकी विधिवत पूजा की जाती है।

इसके साथ ही अपने आसपास के अंधकार को दूर करने के लिए दीये जलाए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चौकी में भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करते समय उनकी दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर मूर्ति सही दिशा में न हो तो अशुभ फल प्राप्त होते हैं। एस्ट्रोलॉजर अरुन कुमार तिवारी नें अपनें सोशल मिडीया हैंडल पर जानकारी दी है कि गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति को किस दिशा में रखें

गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति किस दिशा में रखनी चाहिए

दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति रखते समय ध्यान रखें कि उन्हें पूर्व दिशा में इस तरह रखें कि उनका मुख पश्चिम दिशा की ओर हो। आपको बता दें कि इस दिशा को देवी-देवताओं की दिशा माना जाता है। ऐसे में इस दिशा में मूर्ति रखने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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गणेश जी के बगल में इस तरह रखें लक्ष्मी जी की मूर्ति

मां लक्ष्मी की मूर्ति को सही दिशा में रखने के साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि उन्हें गणेश जी के बगल में किस तरफ रखना चाहिए। ज्यादातर लोग लक्ष्मी जी की मूर्ति भगवान गणेश के बाईं ओर रखते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है। दरअसल बाईं ओर पत्नी का स्थान होता है। इसलिए उन्हें वामांगी कहा जाता है। लेकिन मां लक्ष्मी भगवान गणेश के लिए मां के समान हैं। इसलिए उन्हें हमेशा गणेश जी के दाईं ओर स्थापित करना चाहिए।

गणेश जी की मूर्ति बाईं ओर

ध्यान रखें कि उनका हमेशा स्मरण करना चाहिए, क्योंकि श्री गणेश की मूर्ति माता लक्ष्मी की मूर्ति के साथ ही स्थापित की जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर आपके पास गणेश जी की मूर्ति है तो इससे आर्थिक नुकसान हो सकता है।

कलश स्थापना है जरूरी

दिवाली के दिन भगवान गणेश के साथ देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित की जाती है। लेकिन कलश स्थापना नहीं की जाती है। आपको बता दें कि कलश को वरुण देव का स्वरूप माना जाता है। इस दिन स्थापित कलश को अमृत कलश के बराबर माना जाता है। इसलिए इस दिन कलश स्थापना जरूर करनी चाहिए।

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