Rudraksha Types, Importance and Niyam: हिन्दू धर्म में भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुए रुद्राक्ष को सबसे पवित्र और पूजनीय माना गया है। बता दें कि रुद्राक्ष दो शब्दों से बना है। जिसमें रूद्र का अर्थ है महादेव और अक्ष का अर्थ है आंसू। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी अध्यात्मिक कार्य में रुद्राक्ष का प्रयोग करने से सभी कार्य सफल हो जाते हैं और व्यक्ति पर महादेव की कृपा सदैव बनी रहती है।
शास्त्रों में ये भी बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति सही समय पर और विशेष नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण करता है तो उसे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यहां जानिए रुद्राक्ष के विषय में पूरी जानकारी।
आपको बता दें कि प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष की उत्पत्ति फल के रूप में होती है, जिनके पेड़ पहाड़ी इलाकों में अधिक मिलते हैं। भारत सहित रुद्राक्ष के ये पेड़ नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया में अधिक संख्या में पाए जाते हैं। लेकिन धार्मिक दृष्टि से देखें तो पौराणिक कथा में बताया गया है कि जब एक बार महादेव तपस्या के दौरान अधिक भावुक हो गए थे। तब उनके आंखों से जो अश्रु गिरे थे, उनसे रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए शास्त्रों में बताया गया है कि रुद्राक्ष में स्वयं भगवान शिव वास करते हैं।
जानकारी के अनुसार, रुद्राक्ष के भी कई प्रकार होते हैं। ये एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक उपलब्ध हैं। इनके सभी भेदों का अपना-अपना महत्व है। साथ ही सभी में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूप वास करते हैं।
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