India News (इंडिया न्यूज), Sadhguru: देश में दशहरा काफी धुमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई यानि आततायी हो चुके रावण पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के आदर्शों की जीत को दर्शाता है। इस दिन लोग एक साथ मिठाइयां बांटकर उत्सव का आनंद लेते हैं, जिससे सामाजिक एकता की भावना को काफी बल मिलता है। इस उत्सव के केंद्र में रंग-बिरंगे जुलूस, रावण के पुतले और उनका दहन हमें याद दिलाता हैं कि दृढ़ संकल्प और विश्वास से बुराई पर जीत जरुर हासिल होती है।
दशहरा को लेकर यूट्यूब चैनल सद्गुरु लाइफ द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु कहते हैं कि कैसे रावण पर भगवान राम की जीत हुई और सीता के बचाव के बाद लंका से अयोध्या लौटने की उनकी यात्रा में अप्रत्याशित मोड़ भी गया। भगवान राम ने अयोध्या में अपने राज्य को लौटने की बजाय हिमालय जाने की इच्छा जताई। वहीं भाई लक्ष्मण के द्वारा प्रश्न किए जाने पर भगवान राम ने उत्तर में कहा कि, हर व्यक्ति के चरित्र में कई पहलू होते हैं। वहीं अब समय है कि सराहनीय गुणों के सागर रावण के वध का पश्चााताप किया जाये। हालांकि रावण ने जघन्य कृत्य किए, लेकिन फिर भी वह गुणवान और भगवान शिव का एक समर्पित अनुयायी था। यही वजह थी कि श्री राम को रावण के रूप में एक विद्वान और भक्त को मारने के लिए पश्चाताप की आवश्यकता पड़ी।
सद्गुरु आगे कहते हैं कि भगवान राम, जिन्होंने सीता को रावण से बचाने के लिए एक सेना को एकत्रित की थी, बाद में रावण को मारने के लिए माफी मांगी और इसका श्रेय अपने व्यक्तित्व में से एक दुर्गुण को दे दिया। भगवान श्री राम के अनुसार, रावण के अलग-अलग पक्ष थे और आध्यात्मिक और समर्पित पक्ष का वध करना भगवान राम के लिए सबसे अधिक परेशान करता था। कई लोग इस बात कर को लेकर कहते हैं कि वह रावण ही था, जिसने शिव तांडव स्तोत्रम् को लिखा था। साथ ही कुछ लोग यह भी तर्क देते हैं कि वह सीता की पसंद का सम्मान करता था। बंधक बनाए रखने के समय पर उन्हें एक बार भी छूआ तक नहीं था। इसके साथ ही सद्गुरु कहते हैं कि, लोग जटिल हैं और हमें उन्हें आंकने या उन पर लेबल लगाने से बिल्कुल बचना चाहिए।
सद्गुरु इस बारे में आगे बात करते हुए कहते हैं हैं कि अलग-अलग क्षणों में हमारी भावनाएं कैसे नियंत्रित होती है। हम क्रोधित, ईर्ष्यालु, उदास, प्रेमपूर्ण या यहां तक कि विभिन्न स्थितियों में सुंदरता देख पाते हैं। वह कहते हैं कि लोग तुरंत ही निर्णय ले लेते हैं। जब हम किसी को कुछ ऐसा करते हुए देखते हैं जो कि हमें नापसंद है तो हम अक्सर उसे बुरा, ईर्ष्यालु या फिर बहुत क्रोधी करार देते हैं। दूसरी तरफ जब कोई व्यक्ति लगातार अच्छा कार्य करता है तो हम उसकी प्रशंसा भी करते हैं यहां यह भी समझना जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति हर समय एक जैसा नहीं रहता है। परिस्थितियों के आधार पर उसका व्यवहार बदल जाता है। सद्गुरु हमें निर्णय लेने में कम जल्दबाजी और मानव स्वभाव में होने वाले परिवर्तनों को समझने के लिए काफी प्रोत्साहित करते हैं। हमें नियंत्रित करने वाली कोई एक निश्चित भावना या फिर विशेषता नहीं है, बल्कि यह भावनाओं का एक समूह है। इनकी संख्या 10 तक भी हो सकती है।
आगे कहते हैं कि भगवान राम द्वारा रावण के चरित्र के एक सुंदर पहलू को पहचानना उनकी एक गहन बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। सद्गुरु इस ज्ञान को एक सरल सादृश्य से बताते हैं कि एक गुलाब के पौधे में गुलाब की तुलना में अधिक कांटे रहते हैं, लेकिन हम फिर भी इसे गुलाब का पौधा कहते हैं, कांटेदार पौधा नहीं। इसी तरह से आम के पेड़ में पत्तियां अधिक होती हैं, लेकिन हम उसे आम का पेड़ कहते हैं पत्तों वाला पेड़ नहीं।
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