India News (इंडिया न्यूज़), Sawan 2023:  हिंदू परंपरा के अनुसार सावन माह में रक्षाबंधन का काफी महत्व है। सावन मास का हिंदू पंचांग के अनुसार पांचवां महीना माना जाता है, यह माह भगवान शिव और उनकी मान्यताओं से जुड़ा है। इस महीने के दौरान विभिन्न धार्मिक और त्योहारों के आयोजन करना शुभ माना जाता है। रक्षा बंधन, जिसे राखी भी कहा जाता है, भी ऐसा ही एक त्योहार है जो सावन मास के दौरान मनाया जाता है।

पौराणिक महत्व: हिंदू पौराणिक कथानुसार, रक्षा बंधन का त्योहार प्राचीन रूप से है । यह माना जाता है कि देवी लक्ष्मी, धन और समृद्धि की हिंदू देवी, सावन मास में राजा बाली की कलाई पर एक सुरक्षात्मक धागा बांधी थी। इस क्रिया का उद्देश्य राजा बाली और राज्य को किसी भी हानि से सुरक्षित रखना था। इसलिए कहा जाता है कि सावन मास में रक्षा बंधन का आयोजन उस पौराणिक घटना की स्मृति में किया जाता है।

कृषि संबंधी महत्व: सावन मास भारत में मानसून के मौसम के साथ जुड़ा होता है । यह उस समय को दर्शाता है जब किसान अपने बीज बोने की शुरुआत करते हैं और एक अच्छी फसल की प्रतीक्षा करते हैं। रक्षा बंधन, जो भाई और बहन के बीच के बंधन की प्रस्तुति करता है, इस अवधि के दौरान समाज को एकजुट करने और समृद्ध कृषि मौसम के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए आयोजित किया जा सकता है ।

पारंपरिक रीति-रिवाज: भारत के कई क्षेत्रों में, खासकर उत्तर भारत में, रक्षा बंधन का त्योहार बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर सावन मास में परंपरागत रूप से मनाया जाता रहा है । समय के साथ, यह समय इस त्योहार के संबंधित सांस्कृतिक अभ्यासों और रीति-रिवाजों में गहराई से स्थापित हो गया है ।

हर साल क्यों बदलती है रक्षाबंधन की तारीख

यह ध्यान देने योग्य है कि रक्षाबंधन की विशेष तारीख हर साल बदलती है, क्योंकि यह हिन्दू चंद्रकालेन्द्र के अनुसार निर्धारित होती है। आमतौर पर रक्षा बंधन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो कि सावन मास के दौरान पड़ती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास चंद्रमा के मूर्ति द्वारा नियंत्रित किया जाता है, और पूर्णिमा दिवस पर चंद्रमा पूर्णरूप से दिखाई देता है। यह एक संकेत हो सकता है कि चंद्रमा और सावन मास के महत्वपूर्णता के कारण रक्षा बंधन इस मास में मनाया जाता है।

इसके अलावा, सावन मास में विभिन्न त्योहार और धार्मिक आयोजनों की महत्वपूर्णता होती है। यह एक मान्यता है कि इस मास में भगवान शिव पर प्रतिमाओं के साथ अभिषेक किया जाता है और भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। रक्षा बंधन को भी इसी मास में शामिल किया जाता है, जिससे यह धार्मिक आयोजनों के साथ एकता और महत्वपूर्णता प्राप्त करता है।

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