India News(इंडिया न्यूज), Sawan Third Somwar 2024: सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। यह महीना विशेष रूप से भगवान शिव को प्रिय है और सोमवार का दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित है। इस साल सावन की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हुई थी और यह 19 अगस्त 2024 तक चलेगा। इस दौरान कुल 5 सोमवार पड़ेंगे, और सावन के तीसरे सोमवार का व्रत 5 अगस्त 2024 को रखा जाएगा। आइए जानते हैं सावन के तीसरे सोमवार की पूजा विधि, भोग, मंत्र और व्रत कथा के बारे में विस्तार से।

तीसरे सावन सोमवार की पूजा विधि

  • प्रातःकाल की तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। यह दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और शारीरिक और मानसिक शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए स्नान करना आवश्यक है।
  • व्रत का संकल्प: भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। आप घर पर या किसी शिव मंदिर में जाकर पूजा कर सकते हैं।

पूजा की विधि:

  • अभिषेक: सबसे पहले भगवान शिव के शिवलिंग पर पवित्र जल से अभिषेक करें।
  • तिलक और भोग: शिवलिंग पर सफेद चंदन का तिलक करें और फूल, फल, मिष्ठान का भोग अर्पित करें।
  • धूप और दीप: धूप और दीप जलाएं और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
  • अर्पण: धतूरा, बेलपत्र और भांग अर्पित करें।
  • व्रत कथा: सावन सोमवार की व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
  • आरती: पूजा के बाद भगवान शिव की आरती करें।
  • व्रत का पालन: पूरे दिन व्रत रखें या फलाहार पर निर्भर रहें।

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भगवान शिव को भोग

सावन सोमवार की पूजा में भगवान शिव को निम्नलिखित भोग अर्पित कर सकते हैं:

  • हलवा
  • दही
  • भांग
  • पंचामृत
  • शहद
  • दूध
  • खीर
  • मालपुआ
  • ठंडाई

भोग अर्पित करते समय इस मंत्र का जाप करें:

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर॥

महत्वपूर्ण मंत्र

ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ नमो भगवते रूद्राय
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्

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सावन सोमवार की व्रत कथा

सावन सोमवार की व्रत कथा एक साहूकार और उसकी संतान की कहानी है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहूकार जो भगवान शिव का भक्त था, संतान की कमी से दुखी था। उसकी भक्ति देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि उसके भक्त की संतान की इच्छा पूरी की जानी चाहिए। भगवान शिव ने उसे संतान प्राप्ति का वादा किया, लेकिन उसकी आयु को लेकर कुछ शर्तें भी रखीं।

साहूकार की पत्नी गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। जब वह बालक 11 साल का हुआ, तो उसे शिक्षा के लिए काशी भेजा गया। रास्ते में एक राजकुमारी से उसकी शादी कर दी गई, लेकिन बालक ने विवाह के बाद राजकुमारी को सच्चाई बता दी कि वह असली दूल्हा नहीं है।

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काशी में, बालक की मृत्यु हो गई, लेकिन माता पार्वती की प्रार्थना के बाद भगवान शिव ने उसे पुनर्जीवित कर दिया। इस घटना के बाद, साहूकार ने अपनी संतान को वापस पाया और उसने भगवान शिव की भक्ति के प्रति आभार व्यक्त किया। यह कथा बताती है कि भगवान शिव की पूजा और व्रत कथा का पालन करने से भक्तों के सभी दु:ख दूर हो जाते हैं और वे अपने जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं।

इस प्रकार, सावन के तीसरे सोमवार का व्रत और पूजा विधि आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद करती है और आपके जीवन को सुखमय बनाती है।

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