धर्म

कर्ण के शव को देख दुर्योधन के मुंह से निकला था कुछ ऐसा कि…पांडव भाइयों के भी उड़ गए थे होश?

India News (इंडिया न्यूज), Karna Mrityu in Mahabhara: महाभारत के युद्ध में 17वें दिन का दृश्य इतिहास का एक अत्यंत भावुक और महत्वपूर्ण क्षण था। इस दिन, कर्ण, जो एक वीर और दानवीर योद्धा था, का रथ अचानक धरती में धंस गया और अर्जुन के बाण से उसकी मृत्यु हो गई। कर्ण और दुर्योधन की मित्रता महाभारत के इतिहास में एक अनूठी और गहरी मित्रता की मिसाल है। कर्ण की मृत्यु ने दुर्योधन को भावनात्मक रूप से चकनाचूर कर दिया था, और इस घटना ने दुर्योधन के दिल को गहराई से छू लिया था।

कर्ण की मृत्यु के समाचार ने दुर्योधन को पूरी तरह से स्तब्ध कर दिया। दुर्योधन ने अपने मित्र की मौत पर गहरी पीड़ा व्यक्त की और उसकी याद में रोते हुए कहा, “मेरे मित्र! तुम्हारे बिना अब मेरा क्या होगा?” कर्ण की मृत्यु से दुर्योधन के जीवन में एक अपूरणीय कमी आ गई थी। अंग प्रदेश के राजा के बिना दुर्योधन ने सोचा कि वह न तो युद्ध कर सकेगा और न ही अपने साम्राज्य को सुचारू रूप से चला सकेगा।

Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, हो जाएगा बड़ा नुकसान!

कर्ण का पार्थिव शरीर

दुर्योधन ने कर्ण के पार्थिव शरीर के सामने बैठकर कई घंटों तक विलाप किया। इस दौरान उसने अपने मित्र के साथ बिताए गए बीते लम्हों को याद किया और कर्ण के अद्वितीय गुणों को श्रद्धांजलि अर्पित की। दुर्योधन ने अपने आंसुओं के बीच कहा कि कर्ण से बड़ा दानवीर इस संसार में कोई नहीं था। कर्ण की दानवीरता और वीरता ने केवल कौरवों को ही नहीं, बल्कि पांडवों को भी प्रभावित किया था। उसकी वीरता और उसकी दानशीलता ने उसे एक असाधारण व्यक्ति बना दिया था।

शिव की सवारी नंदी बाबा को तो जानते होंगे ही आप…लेकिन कैसे एक साधारण सा जानवर बन गया भोलेभंडारी का वाहन?

कर्ण की वीरता और दानवीरता

कर्ण ने युद्ध में कौरवों की ओर से भाग लिया था, लेकिन उसकी वीरता और दानवीरता ने श्रीकृष्ण तक को प्रभावित किया। श्रीकृष्ण ने कर्ण के अंतिम संस्कार का जिम्मा अपने ऊपर लिया, जो कर्ण की महानता और उसकी दानशीलता का आदर था। यह कर्ण की अमूल्य मित्रता, उसकी वीरता और उसकी दानशीलता की गाथा को संजोने का एक प्रयास था।

मृत्यु से पहले यमराज खुद देते हैं व्यक्ति को ऐसे संकेत जो इंसानी दुनिया से होते हैं परे, जानें क्या है इसके पीछे का पूरा रहस्य

इस प्रकार, कर्ण की मृत्यु और दुर्योधन की विलाप ने हमें यह सिखाया कि सच्ची मित्रता और दानवीरता के मूल्य क्या होते हैं। महाभारत की यह कहानी एक अमूल्य दोस्ती और निस्वार्थता की प्रेरणा देती है, जो हमें जीवन के सबसे कठिन क्षणों में भी एक दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान का महत्व समझाती है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

Recent Posts

‘केंद्रीय अर्धसैनिक बल, CISF और पुलिस के जवान पैसे लेते हैं तो…’ रिश्वत लेने वालों पर CM Mamata ने ये क्या कह दिया?

CM Mamata Banerjee: राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक में सीएम ममता बनर्जी ने…

2 hours ago

पहली ही मुलाकात में नार्वे की राजकुमारी के बेटे ने 20 साल की लड़की से किया रेप, फिर जो हुआ…सुनकर कानों पर नहीं होगा भरोसा

Norway Princess Son Arrest: नॉर्वे की क्राउन प्रिंसेस मेटे-मैरिट के सबसे बड़े बेटे बोर्ग होइबी…

2 hours ago

हॉकी के बाद बिहार को इस बड़े स्पोर्ट्स इवेंट की मिली मेजबानी, खेल मंत्री मांडविया ने दी जानकारी

India News Bihar (इंडिया न्यूज)Khelo India Games: बिहार ने पिछले कुछ सालों में खेलों की…

2 hours ago

‘अधिकारी UP से कमाकर राजस्थान में …’, अखिलेश यादव का जयपुर में बड़ा बयान; CM योगी के लिए कही ये बात

India News RJ (इंडिया न्यूज),Akhilesh Yadav in Jaipur: यूपी में उपचुनाव के लिए मतदान खत्म…

3 hours ago